नर्मदा किनारे व जलग्रहण क्षेत्र में अवैध उत्खनन व आदेशों की अवमानना पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने जताया रोष।
ऽ धार के खनिज अधिकारी के उल्टे जवाब पर पूछा ”क्यों न  सस्पेंण्ड करे ?” चार दिन धार के बदले नर्मदा क्षेत्र में रहकर अवैध खनन रोकने का आदेश।
ऽ अन्य जिले व धार के अधिकारी छळज् की मंजुरी के बिना डम्पर्स व ट्रेक्टर्स छोडने संबंधी पूरी हकीकत के साथ शपथपत्र दाखल करे व बतायेः जिम्मेदार कौन ?
ऽ जिलाधीश, जिला एस. पी., खनीज अधिकारीयों की उपस्थिति में होगी, अगली सुनवाईः 25से 28 जुलाई तक, रोज एक जिले संबंधी।
   
 
  भोपाल | २५ मई, २०१६: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के मध्यवर्ती खण्डपीठ, भोपाल ने आज नर्मदा बचाओ आंदोलन की रेत खनन बाबत याचिका पर करीबन दो घंटे सुनवाई के बाद आज अवैध कारोबार पर कडी टिप्पणी की एवम आदेश भी दिये।
  प्राधिकरण से (छळज्) नियुक्त अधिवक्ता- आयुक्तों की जांच रिपोर्ट पर शासकीय शपथपत्रों में, जिलाधीशों ने जो विरोध दर्शाया या रिपोर्ट के निष्कर्षो को गलत बताया , उस पर नर्मदा आंदोलन ने विस्तृत जवाब दाखिल किया है, जिसपर आज बहस हुई। जिलाधीशों व राज्य शासन ने ’आलबेल ’ (सब कुछ ठीक)का भरोसा एक ओर देकर जांच रिपोर्ट में किये आरोपों को कैसे खारिज किया, यह सवाल उठाते हुए आंदोलन ने कुछ जगह अवैध खनन रूका या कम हुआ है, किन्तु आज भी सैकडों ट्रेक्टर्स चार जिलाओं के इस पूरे क्षेत्र में चल रहे है, यह बात सामने रखी। साथ ही जिलाधीश की अध्यक्षता में उच्च अधिकारीयों की समिति बनायी थी, वह भी निष्क्रिय है। फिर कसरावद तहसील के 6 गांवों के लिये केवल सरपंच, सचिव, पटवारी और कोटवार की सदस्यता के साथ गठित की है, इसपर आंदोलन ने आपत्ति उठाई।
 अवैध रेत खनन चलाते ट्रँक्टर्स पकडे जाने के बाद , छळज् की सहमती के बिना छोडे नही जा सकते, इस आदेश की अवमानना बडवानी, धार अलिराजपुर और खरगोन जिले में भी कंहा कंहा हुई है, जिसपर, न्यायधिकरण ने धार के खनिज अधिकारी एवम सहायक खनिज अधिकारी श्री ़ज्ञानेश्वर तिवारी को कडे सवाल किये। ग्राम गुलाठी तहसील धरमपुरी जिला धार में 17/2/2016 में पकडे गये दोनों डम्पर्स को धरमपुरी  थाने से क्यों, कैसे, किसने छोड दिया यह पूछने तिवारीजी ने अलग अलग जवाब दिये- कहा कि आंदोलन ने खाली डम्पर्स पकडवाये थे। फिर कहा कार्यवाही तो की गई है, दण्ड कर दिया इसलिये छोडा….. फिर कहा की ”हमने नही छोडा”, एस. डी. एम. को सुपूर्द किया और उसने छोडा या नही, मुझे पता नही! इसपर नाराज होकर तो अध्यक्ष श्री दिलिपसिंह ने स्वयं आदेश दिया श्री तिवारी को सस्पेंण्ड/ निलंबीत किया जाय, लेकिन बाद में इसपर बहस करवाने पर अंतः यह आदेश हुआ कि श्री तिवारी आनेवाले चार दिन जिला स्थान पर रहने के बदले नदी के क्षेत्र में ही रहकर अवैध कार्य रोके।
    जिनके टँ्रक्टर्स पकडे गये है उनमे से 3-4 व्यक्तियों ने जो अर्जिया दाखिल की थी उस पर भरपुर बहस होने के बाद भी खण्डपीठ ने ट्रँक्टर्स छोडने से इनकार कर दिया और कहा की कडी सजा मीलनी चाहिये। केवल अर्थदण्ड से काम नही चलेगा। जिन्होने प्रकृति को आहत किया है , उन्हे उसकी भरपाई करनी चाहिये। हर अर्जदार हजारों पेड लगाये, लोगों के और याचिकाकर्ता आंदोलन के साथ जुडे और प्राकृतिक संवर्धन के कार्य करे।
   जिलाधीशों की ओर से खननकर्ता, वहनकर्ताओं खिलाफ दर्ज किये एफ. आई. आर. की जानकारी अधूरी है, और आज भी कई जगह अवैध खनन चल रहा है, कुछ ही जगह रूका है तथा चेक पोष्ट भी नही लगाये गये है, इसकी दखल लेते हुये छळज्ने आदेश दिया की कानूनी कारवाई की पुरी जानकारी प्रस्तुत करे ।
   अपने आदेश में खण्डपीठ ने कहा की अब जिलंधीश, जिला पुलीस अधिक्षक, खनिज अधिकारी आदी की उपस्थ्ति में अगली सुनवाई 25  जुलाई को अलिराजपुर, 26 को धार , 27 को खरगोन, 28 को बडवानी संबंधी (रोज एक जिला) होगी। आंदोलन की ओर से मेधा पाटकर ने पैरवी की। हडताल के कारण अधिवक्ता गैर हाजीर रहे।
 
अश्विन          मुकेश भगोरिया       देवेन्द्रसिंह तोमर      
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