जल, जंगल जमीन की लूट कॉर्पोरेट को किसी भी हालत में नहीं करने देंगे और जफ़र को न्याय दिलाने की लड़ाई हम पूरे देश में लड़ेंगे- दीपांकर भट्टाचार्य

कथित गौरक्षकों द्वारा हमला किये गए अजमत और रफीक ने दिया धरने को समर्थन समर्थन और उनको राजस्थान के जन संगठनों की ओर से उनको 30-30 हजार के सहायतार्थ उनको चेक दिए

राजस्थान के विभिन्न जिलों से आदिवासी भाई- बहिन आज विधानसभा के पास चल रहे ‘जवाब दो’ धरने में पहुंचे और उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन हमारी है इसे  हम किसी भी कीमत पर कंपनियों को नहीं देने देंगे. वन अधिकार कानून को पास हुए 10 वर्ष से अधिक समय होने के बाद भी लोग अपनी फाइल लेकर वन अधिकार समिति से लेकर उपखंड स्तरीय समितियों के यहाँ लेकर चक्कर लगा रहे हैं लेकिन हमें हमारी उस जमीन का ही पट्टा नहीं मिल रहा है जिस पर हमारी कितनी ही पीढियां रहती आ रही हैं.

एक तरफ जिन लोगों के पास अपनी जमीन या घर का पट्टा नहीं है उसके लिए राजस्थान सरकार विशेष अभियान चलाने की बात कहकर लोगों को भ्रमित कर रही है वहीँ जो लोग सैकड़ों वर्षों से रह रहे हैं उनको पट्टा नहीं दिया जा रहा है.

वन अधिकार कानून के तहत ग्राम सभा को शक्तियां दी गई हैं लेकिन अधिकारी उन शक्तियों को वास्तव में ग्राम सभा में निहित मानते ही नहीं है जिससे जो निर्णय ग्राम सभा में आम सहमति से होना चाहिए वे नहीं हो पाते हैं. वन अधिकार समिति एवं ग्राम सभा की सिफारिश के आधार पर लोगों को उनकी कब्जेशुदा जमीन का पट्टा दिया जाना है लेकिन अभी इस मामले में वन विभाग यह तय करता है कि किसको कितना पट्टा दिया जाना है. वन विभाग के कर्मचारी एवं अधिकारी जीपीइएस सीमा का ज्ञान करते हैं. जब ये लोग सीमा ज्ञान के जाते हैं कि किस व्यक्ति का कितनी जमीन पर कब्ज़ा है उसको ध्यान में नहीं रखकर अपनी मर्जी से सीमा ज्ञान कर देते हैं जिससे उनके द्वारा खेती की जा रही या निवास की जा रही जमीन से कम का पट्टा प्रशासन द्वारा दिया जाता है.

राज्य में लगभग 72 हजार लोगों ने पट्टे के लिए आवेदन किया था उसमें से 34 हजार लोगों के आवेदनों को निरस्त कर दिया गये है. लेकिन उनके दावों किस आधार पर ख़ारिज किया गया आज तक उन लोगों को यह सूचना नहीं दी है कि उनके दावे ख़ारिज हो गए हैं. क्योंकि यदि उनको ख़ारिज होने की सूचना मिल जाएगी तो वे कानून के अनुसार इसकी अपील कर पाएंगे. इसी प्रकार जिन लोगों को पट्टे मिले भी हैं उन्होंने जितनी जमीन पर दावा किया था उससे कम जमीन दी गई है. इसलिए धरने से यह मांग की गई कि व्यक्तिगत वन अधिकार के अधिकार पत्रों में ज़मीन लोगों के किये गए दावों के अनुरूप दी जाये.  जो दावे निरस्त किये गए उन्हें निरस्त करने के कारणों की स्पष्ट सूचना दी जाये.  अधिकांश दावे वन विभाग की अनुशंषा पर या उपखंड स्तरीय समिति ने निरस्त किये जबकि कानूनी तौर पर उपखंड समिति को यह दावे वापिस ग्राम सभा को भेजने थे. साथ ही जिन जिलों में अभी तक वन अधिकार की प्रक्रिया ही शुरू ही नहीं की गयी है जैसे टोंक, बूंदी, कोटा, आदि वहां इसे शुरू किया जाये. वन अधिकार मान्यता कानून के तहत जिन दावेदारों के दावे अभी प्रक्रिया में हैं उन्हें प्रक्रिया ख़त्म होने तक बेदखल नहीं किया जा सकता है लेकिन वन विभाग के कर्मचारी लोगों को परेशान करते हैं और उनको बेदखल कर रहे हैं इसलिए मांग की गई कि दावे की प्रक्रिया ख़त्म होने तक किसी को भी बेदखल नहीं किया जायेगा. आदिवासी अधिकारों पर हुई जनसुनवाई में राजस्थान के विभिन्न जिलों से आये आदिवासी समुदाय के लोगों ने मांगे की.

गौरतलब है कि 19 जून से ज्योति नगर टी-पॉइंट पर ‘जवाब दो’ धरना जारी है. धरने में सरकारी कर्मचारी, अधिकारी और नेताओं की जवाबदेही की मांग की जा रही है. इसी के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा के  कार्यक्रमों के धरातलीय क्रियान्वयन की स्थिति बहुत ख़राब है उन पर हर रोज़ जन सुनवाईयां आयोजित कर सरकार से जवाबदेही की मांग की जा रही है. इसी कड़ी में आज आदिवासी एवं वन अधिकार के मुद्दों पर एक जनसुनवाई हुई.

 

धरने में भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने हिस्सा ले सभी मुद्दों पर अपना समर्थन व्यक्त किया. प्रतापगढ़ में कार्यकर्ता ज़फ़र हुसैन की हत्या का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान और टॉयलेट बनाने पर इतना दवाब दिया जा रहा है जिससे लगता है कि गरीबों की गरीबी का मज़ाक उदय जा रहा है. उन्होंने कहा की किसी भी लोकतंत्रात्मक देश में किसी गिरोह को यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि वे कानून अपने हाथ में ना ले. आज धरना देने की भी आज़ादी और जगह नहीं है. पूरे देश में यही स्तिथि है. उन्होंने कहा कि हमें बहादुरी के साथ मिलकर इन सभी परिस्थितियों से लड़ना है. इस देश को हम अडानी, अम्बानी और गाय और अन्य के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों के हाथों में देश को नहीं जाने देंगे. उन्होंने कहा कि आज जल, जंगल और जमीन की लूट कॉर्पोरेट द्वारा की जा रही है जिसे हम किसी भी हालत में नहीं जाने देंगे. उन्होंने यह भी कहा कि जफ़र हुसैन के लिए न्याय की लड़ाई हम पूरे देश में लड़ेंगे.

धरने में पार्टी के राज्य सचिव महेंद्र चौधरी ने कहा कि उन्होंने 48 साल से जनजातीय क्षेत्र में काम किया किन्तु इस तरह का भय कभी नहीं था. उन्होंने कहा कि कल 19 जून को जफ़र की हत्या को लेकर प्रतापगढ़ कलेक्टर को 14 मेमोरेंडम दिए गए हैं. जब कोई भी लड़ाई होती है तो न कोई जनरल होता है ने कोई फौजी, सब मिलकर लड़ते है इस लड़ाई को भी हम मिलकर लड़ेंगे.

धरने को उदयपुर की आदिवासी क्षेत्र से आई देवली बाई ने संबोधित किया और कहा कोई नहीं हटेगा हल वही चलेगा चाहे हमें कुछ भी करना पड़े. चाहे दिल्ली जाना पड़े या जयपुर में लगातार धरना देना पड़े तो देंगे लेकिन हम अपनी जगह से किसी भी हालत में नहीं हटेंगे. धरने को सहरिया जनजाति क्षेत्र से आई ग्यारसी बाई सहरिया ने भी संबोधित किया और कहा कि ये जमीन हमारी अपनी है किसी के बाप की नहीं है और हम इस पर अपना कब्ज़ा और पट्टा लेकर रहेंगे.

धरने में अप्रेल 2017 में अलवर के बहरोड़ में कथित गौरक्षकों द्वारा पहलु खान की हत्या पीट-पीटकर कर दी थे और अजमत और रफीक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था वे भी धरने के समर्थन में पहुंचे और उनको राजस्थान के जन संगठनों की ओर से 30-30 हजार के चेक सहायतार्थ दिए गए.

धरने में आदिवासी बाहुल्य जिले उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाडा, सिरोही, बारां, टोंक, राजसमन्द, भीलवाड़ा आदि से सैकड़ों की संख्या में आदिवासी पहुंचे और आदिवासी अधिकारों की बात की.

 

वन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खीवसर से मिला अभियान का प्रतिनिधमंडल: आज सुबह ग्यारसी बाई सहरिया एवं लाडूराम गरासिया के नेतृत्व में में मिला जिसमें वन अधिकार से संबंधित मांगों पर गंभीर चर्चा हुई. उन्होंने प्रतिनिधिमंडल की बातों को सुना और मौके पर मुख्यालय पर स्थित डी.ऍफ़.ओ. को बुलाकर आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया.

जनजाति क्षेत्रिय विकास विभाग के शासन सचिव बी.एल. जाटावत से मिला प्रतिनिधिमंडल:- ग्यारसी बाई, देवली बाई एवं अन्य के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के शासन सचिव बी.एल. जाटावत से मिला. उन्होंने प्रतिनिधिमंडल की बिंदु बार बातों को सुना एवं निम्न आश्वासन दिए-

  1. अभी तक निरस्त किये गए सभी दावों का रिव्यु किया जायेगा और समीक्षा के बाद जो भी निर्णय लिया जायेगा उससे सम्बंधित व्यक्ति को अवगत कराया जायेगा.
  2. वन विभाग के वन अधिकार कानून में दिए गए कार्यों को स्पष्ट किया जायेगा जिससे वह अनावश्यक बाधा पैदा ना करे.
  3. वन अधिकार समिति और अन्य सभी समितियों के कानून के अनुसार प्रशिक्षण कराये जायेंगे.
  4. दावे का सम्पूर्ण निपटारा होने से पहले किसी को भी बेदखल नहीं किया जायेगा इस प्रकार निर्देश ज़ारी करवाए जायेंगे.
  5. अभ्यारण्यों में रहने वालो लोगों के दावो को भी लिया जायेगा.
  6. सामूहिक वन अधिकार के दावों को परिभाषित करते हुए सभी सम्बंधित जिला कलक्टर को पत्र लिखा जायेगा.
  7. कानून में निर्धारित साक्ष्य ही मांगे जायेंगे उसके अलावा नया सबूत के लिए वेबजह परेशान नहीं किया जाये. इस सम्बन्ध में भी दिशा-निर्देश ज़ारी कर दिए जायेंगे.
  8. कई अन्य बिन्दुओं पर भी उन्होंने कार्यवाही करने का आश्वासन दिया जो ज्ञापन में दिए गए है.

 

 

मुकेश निर्वासित, कविता श्रीवास्तव,मांगीलाल, श्यामलाल, कारुलाल, लाडूराम, कमल टांक, विनीत एवं अभियान के सभी साथी

सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान की ओर से

संपर्क: मुकेश- 9468862200, कविता श्रीवास्तव- 9351562965,विनीत-7297832382 ,श्यामलाल-9413318705