सलिल राय मंडला से
मंडला १२ दिसम्बर ;अभी तक; आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के नारायणगंज वि.खं. के ग्राम चुटका के नर्मदा जल क्षेत्र में परमाणु बिजली घर संयंत्र स्थापना के विरोध में मंडला मुख्यालय के स्टेडियम ग्राउंड के समीप चुटका परमाणु बिजली घर परियोजना संयत्र को रद्द करने की जनमांग को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधापाटकर और परमाणु संयंत्र के आसपास के ग्रामों के हजारों लोगों ने आज एक स्वर से संयंत्र परियोजना रद्द करने की जोरदार मांग की है।
इस मौके पर मेधापाटकर ने अपनी बात रखते हुए कही कि यह कैसा परमाणु बिजली घर संयंत्र की स्थापना मनमानी तरीके से किये जाने की कोशिस की जा रही है। चुटका परमाणु संयंत्र बिजली घर संयंत्र स्थापना के प्रत्यक्ष विरोध में एक सौ एक ग्राम सभाओं ने परियोजना रद्द करने के पक्ष में प्रस्ताव पारित किया किंतु पंचायती राज की अवधारणा के यहां पर उन नियम कानूनों की अनदेखी करना प्रजातंत्र प्रणाली पर ही सवाल पर सवाल खड़े कर रही है।
आज संपन्न चुटका परमाणु बिजली घर संयंत्र स्थापना को रद्द करने के लिए परियोजना के आसपास के विस्थापित एवं प्रभावित होने वाले वनवासी और विभिन्न मछुआरा समितियों के महिला पुरुष और नर्मदा जल तथा पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप से चिंतित लोगों ने मंच से अनेक बिंदुओं पर अपनी बात रखी।
इस मौके पर मेधापाटकर ने विस्थापितों और प्रभावितों को संबोधित करते हुए कहा,कि मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार भारतीय संविधान की धारा 243 का खुलेआम माखौल उड़ा रही है,आगे उन्होंने कहा कि यह कैसी विडंबना है कि जल जंगल जमीन से जीवन से अपनी आजीविका संचालन करने वाले ग्रामीण जनों की मर्जी के खिलाफ उनकी जमीनों को अधिगृहित किया जा रहा है,जो कि मानवाधिकारों के हनन के साथ साथ जबरिया न्याय व्यवस्था के नाम पर विस्थापितों को उनके घर आँगन और खेतों से बे दखल किया जाना किस न्याय व्यवस्था की ओर इंगित करता है।
मेधा पाटकर ने परमाणु संयंत्र लगने वाले क्षेत्र टिकरिया और संयंत्र के आसपास भूकंपीय गतिविधियों के प्रति अति संवेदनशील जबलपुर संभाग को भी जोन थ्री में भू विज्ञानिकों ने इसे अपने मापदंड में रखा है।यही नहीं परमाणु बिजली घर के अनेक ऐसे उदाहरण हैं,जिससे रेडियो धर्मिता के कारण मानव जीवन के साथ जलीय एवं जैव विविधता पर प्रतिकूल असर परिणाम के रूप में सामने है। उन्होंने कहा कि मांग से ज्यादा बिजली की उपलब्धता के बावजूद परमाणु बिजली घर अनुसूचित क्षेत्रों में स्थापित करने का औचित्य क्या है?उ
उन्होंने कहा कि परमाणु बिजली की कीमत 9/रु.से 12/रु प्रति यूनिट आयेगी जबकि सौर्य उर्जा से मध्यप्रदेश शासन ने 17अप्रैल2017को रीवा जिले के त्यौथर तहसील में बनने वाली सोलर मेगा प्लांट की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक बोली में 2.97/दो रुपये संतान्नबे पैसे प्रति यूनिट की दर से मिल रही है। इस अवसर पर नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता. ने बोला कि बरगी जलाशय के निर्माण के 25 साल बाद भी मात्र 70 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई हो रही है जबकि परियोजना से साढ़े चार लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई करने के दावे किये गये थे। बरगी जलाशय का संचित पानी किसानों को न देकर झाबुआ पावर प्लांट औधौगिक प्लांट को दिया जा रहा है,जो न्यायोचित नहीं है।
मंडला में चुटका परमाणु बिजली संयंत्र परियोजना के ग्राम चुटका के रहने वाले दादूलाला कुड़ापे ने बताया कि उनके स्वामित्व वाली 18अठारह एकड़ उपजाऊ जमीन चुटका परमाणु बिजली घर स्थापना के लिए अधिगृहित की जा रहीहै,जो उनके और उनके परिवार की बगैर सहमति से उनके बैंक खातों में मुआवजे की राशी डाल दी गयी है,जबकि दादूलाल का साफ कहना है,कि उसे मुआवजा नहीं न ही विस्थापन चाहिए। इसी तरह हल्कू राम चुटका रहवासी की तीन एकड़ जमीन संयंत्र स्थापना के लिए ली जा रही है जिसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है।
आज चुटका परमाणु परियोजना विरोधी चेतावनी सभा के मंच में पर्यावरणविद् प्रफुल्ल सामंत्रा उड़ीसा,आजादी बचाओ आंदोलन के यशवीर आर्या हरियाणा,सी.पी.एम. के बादल सरोज,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अरविंद श्रीवास्तव,आदिवासी नेता गुलजार सिंह मरकाम,सी.पी.आई.(एम.एल.)रेड स्टार के विजय कुमार,शांति सद्भावना मंच मध्यप्रदेश के पी.डी.खैरवार,किसान संघर्ष समिति की आराधना भार्गव के अलावा देश एवं प्रदेश के अनेक संगठन इस आंदोलन को समर्थन दैने आये।मंच से ही मेधा पाटकर की अगुआई में चुटका परमाणु संयंत्र रद्द करने की मांग वाले एक सौ एक ग्राम सभाओं के प्रस्तावों के साथ राज्यपाल के नाम एस.डी.एम.मंडला को मंच पर ज्ञापन सौपा गया।
December 14, 2017 at 4:06 pm
The demand for closure of nuclear plant must be accepted because it is hazardous to adivasi people