वीना
चंडीगढ़ में लड़की के अपहरण की कोशिश, गुरुग्राम में स्टाकिंग। यूपी में रागिनी का सरे राह मर्डर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी नाबालिगों का भाई बने सिपाहियों ने किया यौन-शोषण। ये क्या हो रहा है? सतयुग सरकार लाने की कोशिश करती भाजपा के राज में! रामराज्य के इंतज़ार में बैठे अहिंसक भक्तजनों को अब घबराहट होने लगी है।
एक तो ये जलन के मारे समाजवाद, इंसानियत, बराबरी, आज़ादी की रट लगाने वाले भी ना! एक-एक का नेट बंद करवा देना चाहिये। सोशल मीडिया पर अपने महान हिंदू धर्म की धुन बजा-बजा कर हमारी सांस फूल रही है। और ये हैं कि पता नहीं कहां-कहां से धर्म के बेसुरे राग खोज-खोज कर ले आते हैं। माना हमारे ऋषि-मुनि थे स्वभाव के थोड़े चंचल। पर कौन पुरुष नहीं होता बताइए!
अाजकल अंबेडकर के चेले भी दे रहे हैं ज्ञान!
डिजिटल-सोशल मीडिया की जितनी मलाई खा रहें हैं सनातन धर्म के दावेदार उतनी ही कीचड़ भी गटकनी पड़ रही है। और तो और अंबेडकर के चेले भी आजकल ज्ञान के बुलबुले उड़ाने से बाज नहीं आ रहे।
मनु को वेदों, सनातन धर्म, संस्कृत व अन्य सभी भाषाओं के जनक की उपाधि देने वाले हिदुराष्ट्रवादी, अंबेडकर के संविधान की जगह मनुस्मृति को संविधान बनाना चाहते हैं। तो बाबा साहेब के चेलों ने मनु की जन्मपत्री सबके सामने रख दी।
हिंदू धर्म को जानने-मानने वाले सब जानते हैं कि सरस्वती ब्रह्मा की पुत्री हैं। सरस्वती पुराण के मुताबिक ब्रह्मा के वीर्य से सरस्वती का जन्म हुआ और मतस्य पुराण के अनुसार सरस्वती ब्रह्मा के मुख से पैदा हुई हैं। बाकी की कहानी दोनों पुराणों में एक सी है। क्योंकि सरस्वती बहुत सुंदर थी इसलिए ब्रह्मा का दिल सरस्वती पर आ गया। सरस्वती ने पिता की नज़रों से बचने के लिए चारों दिशाओं में छिपने की खूब कोशिश की पर पांच सिर वाले ब्रह्मा ने उसे हर जगह जा पकड़ा। हार-थक कर सरस्वती को अपने पिता से विवाह करना पड़ा। और इस विवाह की संतान स्वरूप मनु का जन्म हुआ।
मनु जो हिंदू संस्कृति-धर्म के अनुसार संसार का पहला पुरुष है। उसका नाना ही उसका सगा पिता है।
हिंदू धर्म के पैरोकार क्या करें?
अब हिंदू धर्म के पैरोकार क्या करें? हिंदुओं को तो एक गोत्र-गांव में विवाह करने वालों का सर कलम करने की परंपरा सिखाई जाती है। पहले पता होता तो नरेन्द्र पुराण की जगह मनु पुराण में ही करेक्शन करवाने का काम किया जाता। खैर, दुश्मन ले गए भेद। पोथियां लिखने वालों को गलियाने के सिवा अब किया क्या जा सकता है। कुछ तो अक्ल से काम लिया होता पूर्वजों!
इन्हीं करतूतों से बता गए कि नज़र से आगे तुम्हें कुछ दिखाई नहीं देता था। और हम हैं कि तुम्हारे नाम पे उस ज़माने में हवाई जहाज उड़ा देते हैं। भई तुम्हारे ज़माने में इन शूद्रों-दलितों को शिक्षा से दूर, गुलामी की दलदल में रखना आसान होगा। ज़रूरी थोड़े ही है सब ज़मानें वही बहार लेकर आएं। डिजिटल युग में जीने वाले हमारे जैसे अपने पैरोकारों के बारे में भी कुछ सोचा होता। चलो, कुछ न कुछ तो करेंगे इस बारे में भी। फिलहाल तो वर्तमान में होने वाली छीछालेदर पर ध्यान देना ज़रूरी है।
गुरुग्राम की भी ये दशा!
गुड़गांव नाम रहते इज़्ज़त का गुड़ गोबर होता तो बात समझ में आती। गुरुग्राम की ये दशा! कुछ कन्फ्यूज़न है। लगता है गुरु द्रोणाचार्य को आदर देने के लिए रखा गया गुरुग्राम नाम जनता ने किसी बदनाम चरित्र गुरु विश्वामित्र, अगस्त्य, पराशर, ययाति आदि-आदि के खाते में चढ़ा लिया है। ये ग़लतफहमी दूर करने के लिए अब एक विज्ञापन बजट बनाना पड़ेगा। जिससे गुरुग्राम की प्रेरणा केवल द्रोणाचार्य हैं कोई और नहीं ये प्रचार घर-घर पहुंचाया जा सके। ताकि नौजवान भोग की जगह योग में मन लगाएं।
मां चंडी माफ़ करना!
चंडीगढ़ का नाम भी बदल कर सीतागढ़ रखना पड़ेगा। मां चंडी माफ़ करना। ज़रा सी भूल पर वर्णिकाओं द्वारा आपका रौद्र चंडी रूप धारण करना हम अफोर्ड नहीं कर सकते। हमें तो सब जुल्म सहें पर कुछ न कहें सीता मां टाइप युवतियां चाहिए। सो चंडीगढ़ को सीतागढ़ बनाना ज़रूरी है।
(वीना स्वतंत्र पत्रकार और फिल्मकार हैं और आजकल दिल्ली में रहती हैं।)
http://janchowk.com/ART-CULTUR-SOCIETY/satire-chandigarh-vs-sitagad/784
August 13, 2017 at 10:14 pm
हमें शहर का नाम हिंसक शहर में बदलना होगा