Shahed e ajam Sardar Bhagat singh Sketch by Deep walia

आज है शहादत को याद करने का दिन
शहादत जो दी गयी थी……
देश और मानवता की मुक्ति के लियेे
शहादत जो सुविधाओं के खिलाफ
स्वतंत्रता के लिये
शहादत…….
समाजवादी मूल्यों की प्रतिष्ठा के लिये
शहादत पूरी मानवता को
स्वार्थ और बबर्बता के मूल्यों के खिलाफ
आवाज उठाने के लियेे
शहादत अंग्रेजों के खिलाफ ही नहीं थी
यह पूर्ण मानवीय समाज के निर्माण के हक में थी
विषमता से ग्रस्त मानवता को
व्यक्तिगत हाथों में कैद जीवन के साधनों के खिलाफ
एक विस्फोट .. …….
एक परमाणु बम से अधिक
खतरनाक हो सकता था…..भगतसिंह
यदि देश तुम्हारे साथ
तुम्हारे विचारों के साथ होता……
एक भीड में न बदला होता उसे
महानता के आतंक ने
सुरक्षा दी वास्तविक सत्ता के कर्णधारों को
जन चेतना के उस तूफान की बदल दी दिशा
जो तुम्हारी शहादत से उठना चाहिये था….
यहीं से बदल गयी थी हमारी नियति
हम बना दिये गये थे
खिलौने……..
नियति नटी के हाथों के
हमसे अपना भविष्य लिखने का हथियार छीन लिया गया
तुमने पहलीबार अपनी नियति खुद लिखने का
किया था प्रयास…….
दिखाया था रास्ता
कि हम बना सकते हैं अपना
अलग रास्ता………..
चुन सकते हैं नया विकल्प……
प्रदत्त रास्ते हमेशा ले जाते हैं
अंधत्व के महासागर में……
तुमने भीड़ की तरह चलने से किया था इंकार
तुम्हारी शहादत तुम्हारी स्वतंत्र सोच थी
तुमने महानता के आगे झुकने
उनके बनाये रास्ते पर चलना किया था
अस्वीकार………..
यही वजह बनी तुम्हारी शहादत की…
देश की सामूहिक चेतना को
संघर्षशील किसानों, आदिवासियों, युवाओं को
एक भौंथरी धारवाले पिलपिले हथियार से
लड़ना सिखाया जाने लगा…….
धीरे धीरे मुक्ति की चेतना व्यक्तिगत सुखों के
कालीनों पर चलने लगी
जन चेतना ठगी जाने लगी अपने ही नेतृत्व से
भगतसिंह तुमने इस कालीन पर
कदम रखने की जगह
कांटों का रास्ता चुना……
देश को महानता के आतंक से
बचाने का आखिरी प्रयास था……
अनुकरण का रास्ता छोड़ विवेक से
चुन कर चलने के तुम्हारे कदम
अवरुद्ध कर दिये गये
आज के दिन……..
           23 मार्च ….   Poet Unknown if anyone who reads knows the name pl inform  in comments  section