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“इलाहाबाद उच्च न्यायालाय ने एक महत्वपूर्ण आदेश के तहत सूबे के सभी मदरसों में कल राष्ट्रगान गाए जाने और 15 अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा झंडा फहराने का आदेश क्या पारित किया कि सोशल मीडिया पर मुस्लिम समुदाय का गुस्सा फूट पड़ा। मुखर अल्फाजों में कहा गया कि आखिर किसी को मदरसों पर तिरंगे क्यों नहीं दिखाई देते हैं जबकि पहले से ही राष्ट्रीय दिवसों पर मदरसों में झंडा फहराया जाता है। अब इंतजार है कि जल्द ही नागपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यालय पर तिंरगा फहराने के आदेश पारित हों। ”

Rashtriya Ulama Council (RUC)– मदरसों पर तिरंगा फहराने का सर्कुलर जारी करने वालों से पूछो कि आरएसएस के हेडक्वार्टर नागपुर में तिरंगा फहराने सर्कुलर कब जारी करेंगे, आजाद हिंदोस्तान के लिए हजारों उलेमाओं कि कुर्बानी पर शक करने वालों पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखो। मैं अपने साथियों से अपील करता हूं कि वे सोशल मीडिया और दूसरे अवामी माध्यमों को मदारिस में तिरंगा फहराने की तस्वीरों से पाट दें ताकि ये उन लोगों के मुंह पर जोरदार तमाचा हो जो ये सोचते हैं कि हमारी देशभक्ति और वफादारी के लिए इनके सर्कुलर कि जरुरत है- मौलाना आमिर रशादी।

 

बंदा इस्सलामुद्दीन- खाकी चड्डी वालों,  मदरसों में तो लहराया ही जाता है तिरंगा क्या इतनी हिम्मत है तुम्हारी कि संघी कार्यालय पर तिरंगा लहराने का हुक्म दे सको ।

 

अविनाश दीक्षित- ये मदरसों पर झंडा फहराना अनिवार्य होना ही चाहिए आखिर मदरसे हिंदुस्तान में ही हैं। लेकिन ये संघ के कार्यालय और भवन शायद जहाँ भी हैं वो भारत देश का हिस्सा नहीं हैं । सनद रहे कि संघ के कार्यालयों और भवनों पर स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर तिरंगा कभी नहीं फेहराया जाता।

 

मोहम्मद शमीम अंसारी-जज साहब मदरसों पर झंडा फहराने से बेहतर ये होगा कि कल 126  डालर बैरल लीटर था पेट्रोल आज 42 डॉलर लीटर है, उस पर आदेश दीजिए। कहां चली जाती है आपकी मानसिकता? कल भी वही रेट था पेट्रोल का, आज भी वही है, आँख खोल कर देखिएगा तो हर मदरसे में तिरंगा नजर आएगा।

कुमार दिनेश -इलाहबाद हाईकोर्ट का मदरसों पर तिरंगा फहराने अनिवार्य करने का फैसला और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की एकाएक मुस्लिम मुद्दे पर सरकार की खिंचाई। दिनों की टाइमिंग गजब की है।

आम आदमी जिंदाबाद- सभी राष्ट्रीय पर्व पर मदरसों में भी तिरंगा फहराना पड़ेगा अन्यथा कठोर कारवाई होगी-इलाहाबाद कोर्ट। वाह जज साहब वाह , क्या थेथर धमकी भरे आदेश सुनाया है। हम सब आए दिन देखते रहते है कि देशभर के तमाम मदरसों में तिरंगा लहराते रहते है, कुछ एक जगह छोड़कर लेकिन आज तक तो हम ने तो एक भी संघ कार्यालय या संघी को तिरंगा लहराते नहीं देखा है अच्छा होता फैसला एक तरफा ना सुनाकर एक समान एक नियम सभी के लिए सुनाते , फिर तो हम सब स्वागत करते पर अब नहीं।

साहन मोहम्मद काटपुरी- क्या मदरसों पर तिरंगा फहराने से उनका नजरिया बदल जाएगा ?

 

गुलजार अली झोझा- माशा अल्लाह। देश के सबसे बड़े इस्लामिक शिक्षा संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिमों से स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में पूरी शिद्दत से शरीक होने को कहा है । दारुल उलूम ने मुस्लिमों से कहा है कि वह जश्न-ए- आजादी के मौके पर अपने घरों और व्यावसायिक संस्थानों पर तिरंगा फहराएं और देशभक्ति की भावना के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।

मोहम्मद वसीम- मदरसो पर तिरंगा फेर दिया। क्या आज आरएसएस ऑफिस पर किसे ने तिरंगा देखा है, कोई नहीं ऐसे ही पूछ रहा था जानकारी के लिए क्योंकि 1948 में उन्हों ने तिरंगे को पैरों तले रौंदा था। वैसे आज भक्त कहेंगे कि यह सब दिखावा है, बॉस असली देश भक्त तो हम ही हैं इसीलिए असीमानंद को बेल और याकूब को फांसी। 

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