मन्दिर वहीं बनाएंगे।  

रोजी रोटी का सवाल बाद में उठाएंगे

रूखी-सूखी खाएंगे

चाहे भुख से ही मर जाएंगे

पर मंदिर वहीं बनाएंगे।

लल्ला, मन्दिर वहीं बनाएंगे ।।1।।

शिक्षा और स्वास्थ्य का मुद्दा 

बेदख़ल कर जाएंगे

धर्मयुद्ध का परचम लहराने में

बेकारो का झुंड लगाएंगे

लव जिहाद, गो माता के लिए

कतरा-ए-खून बहाएंगे

पर मन्दिर वहीं बनाएंगे

लल्ला, मन्दिर वहीं बनाएंगे ।।2।।

बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ  

नारा जोर-शोर से लगाएंगे

बहू-बेटी पर होते जुल्म पर 

आवाज कभी ना उठाएंगे

गोधरा फिर से दोहराएंगे

आसिफा की चीख़ को चाहे 

अनसुना कर जाएंगे

पर मंदिर वहीं बनाएंगे

लल्ला, मन्दिर वहीं बनाएंगे ।।3।।

किसान आत्महत्या, विद्यार्थी आत्महत्या,

मोर्चा, आंदोलन, जल, जंगल, जमीन

आदिवासियों की बात 

सब-सब भूलकर

देश को खतरा,अर्बन नक्सल

यही एक रट लगाएंगे

देश की आवाम को जमकर चूना लगाएंगे

पर मंदिर वहीं बनाएंगे

लल्ला, मन्दिर वहीं बनाएंगे ।।4।।

आरक्षण का मुद्दा, नोटबंदी,

राफेल पर गौर नहीं फरमाएंगे

पंद्रह लाख खाते में आने की 

राह ताकते जाएंगे

कुछ भी हो पर जुमलेबाजी पर

दृढ़ विश्वास जताएंगे

अबकी बार मोदी सरकार,

विकास की माला जपते जाएंगे

चाहे चोर ही चौकीदार क्यूं ना हो,

पर मंदिर वहीं बनाएंगे।

लल्ला, मन्दिर वहीं बनाएंगे ।।5।।

दलित, बहुजन, अल्पसंख्यकों को भगाएंगे

सर्वश्रेष्ठ जनेऊ से ही नेतृत्व कराएंगे

बाकी प्रजा को वानर सेना बनाएंगे।

धार्मिकता पर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र 

सारे-सारे हिन्दू रक्षक कहलायेंगे

बाद में चाहे सब अपनी-अपनी 

जाति में मदमस्त ही क्यूं ना हो जाएंगे

पर मंदिर वहीं बनाएंगे।

लल्ला, मन्दिर वहीं बनाएंगे ।।6।।

गर्व से कहो हम हिंदू है 

यह नारा घर घर पहुंचाएँगे

हिन्दू खतरे में है कहकर

हिन्द का भगवा लहरायेंगे

हिंदुत्व में राष्ट्रवाद और राष्ट्रप्रेम जताएंगे

देश की धर्मनिरपेक्षता को चाहे धूल चटाएँगे

पर मंदिर वहीं बनाएंगे।

लल्ला, मन्दिर वहीं बनाएंगे ।।7।।

चार साल तक मन की बात 

मन में ही दबाएंगे

सियासत खत्म होते-होते 

राम को बीच में लाएंगे

चाणक्य नीति अपनाएंगे

तारीख कभी ना बताएंगे

पर,

अबकी बार मन की बात बताई ही दियो 

लल्ला, की मंदिर कब बनाएंगे? 

मन्दिर कब बनाएंगे? ।।8।।

                              

                             रुपाली जाधव

                      ( कबीर कला मंच, पुणे )