(02:45:42 AM) 27, Nov, 2013, Wednesday
 priyankahindi

प्रेरणा बक्शी
19 अगस्त को वेदान्ता समूह ने एनडीटीवी के साथ भागीदारी करते हुए ‘हमारी बेटियां, हमारा गौरव’ के अभियान का आरम्भ किया जिसमें इसकी ब्रांड एम्बेसेडर बनीं बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा। गौरतलब है कि इस अभियान की शुरुआत उसी दिन हुई जिस दिन बाक्साइट खनन में लगी वेदान्ता को उड़ीसा में भारी हार का सामना करना पड़ा।
ऐसे में यह दिलचस्प है कि इस अभियान की वेदान्ता की अगुआई में उस समय पहल हो रही है जब उड़ीसा के आदिवासी और अन्य जनजातीय समूहों की जीत विश्व भर में गूँज रही है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार वेदान्ता समूह को उड़ीसा में बाक्साइट खनन के लिये वहां की ग्राम सभाओं की स्वीकृति प्राप्त करनी थी जिसे वे लेने में असफल रहे। इस सन्दर्भ में उड़ीसा के आदिवासी और अन्य समूहों ने वेदान्ता के द्वारा की जा रही बाक्साइट खनन को नक़ारते हुए विश्व भर के आदिवासी और अन्य शोषित वर्गों के अधिकारों के लिए एक अभूतपूर्व मिसाल कायम की है। यह जीत केवल डोंगरिया कौंध या नियमगिरी में रह रहे अन्य समुदायों की ही नहीं, बल्कि संसार में रह रहे हर आदिवासी और उत्पीड़ित समुदाय के आत्मनिर्णय की है। जब विश्व भर में प्राकृतिक सम्पदा का दोहन हो रहा है और आदिवासी व अन्य शोषित समुदाय जल, जंगल, जमीन सहित अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, ऐसे में वेदान्ता को हराना वास्तव में उल्लेखनीय उपलब्धि है।
वेदान्ता का शुमार भारत में मौजूद सबसे बड़ी खनन कम्पनियों में किया जाता है। बावजूद इसके वेदान्ता पर पर्यावरण व सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य समुदायों द्वारा लगातार सवाल उठाये गये हैं। अतीत में वेदान्ता पर मजदूरों से कम पैसे पर श्रम लेने पर, मजदूर संघ के खिलाफ कार्रवाई करने पर, प्रदूषण फैलाने पर, लोगों को उनकी जमीनों से बेदखल करने पर, लगातार आरोप लगाये गये हैं। ऐसे में हाल ही में मिली हार के दौरान वेदान्ता का एनडीटीवी के साथ मिलकर ‘कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी’ के भेस में यह अभियान चलाना वेदान्ता की छवि पर पहले से ही पहुँची हुई क्षति पर मरहम लगाने जैसा ही कहा जा सकता है। वेदान्ता को हाल ही में 12 ग्राम सभाओं द्वारा भाग लिये इस ऐतिहासिक फैसले पर सभी बारह ग्राम सभाओं द्वारा भारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। अब वेदान्ता का इस अभियान की अगुआई करना, अपने ब्रांड की पहचान और जागरुकता को लोगों तक पहुंचाना जैसा ही कहा जा सकता है।  इस अवसर का इस्तेमाल करते हुए मानो वेदान्ता अपनी छवि को सुधार कर भविष्य में अपनी कम्पनी को और आगे बढ़ाना चाहता है ।
इस अभियान का उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुपोषण और कन्या भ्रूण पर रौशनी डालना है। मुमकिन है वही वेदान्ता जो कन्याओं से जुड़े मामलों को आगे लाने का दावा करती है, वही कम्पनी ग्रामीण इलाकों में रह रही कन्याओं को बेघर, गरीबी में ढकेल कर या इनके परिवारों के श्रम को सस्ते में लेकर अपने खनन उद्योग व अपनी कम्पनी का विस्तार करे। यह भी मुमकिन है जो कम्पनी कन्याओं से जुड़े सेहत और सुपोषण के मुद्दों की बात करती है, वही कम्पनी उनके पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर उनकी सेहत और सुपोषण में बाधा डाले। उदाहरण के तौर पर, इसी वर्ष तमिलनाडु में वेदान्ता की स्टरलाइट कम्पनी के द्वारा हानिकारक प्रदूषण गैस को फैलाने पर सर्वोच्च न्यायालय ने वेदान्ता पर 100 करोड़ मुआवजा देने का फैसला सुनाया।
दूसरी ओर ध्यान देने योग्य बात यह है कि एनडीटीवी ने वेदान्ता के साथ भागीदारी करते हुए, एक ऐसी कम्पनी जिस पर पर्यावरण एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने हमेशा सवाल उठाए हैं, कारपोरेट-मीडिया के गठबंधन को और मजबूत किया है जिसमें आम तौर पर दोनों एक-दूसरे से मुनाफा कमाते हैं। मसलन, एनडीटीवी जहां समय-समय पर वेदान्ता द्वारा चलाए जा रहे ‘अभियानों’ को अपने चैनल पर प्रदर्शित और उनका प्रसार करता है, वहीं वेदान्ता से हाथ मिलाते हुए उनके द्वारा किये जा रहे मानवाधिकारों के हनन को नजरअंदाज करता नजर आता है।
एक और देखने वाली बात यह है कि इस अभियान की एम्बेसेडर प्रियंका चोपड़ा हैं जिन्होंने बहुराष्ट्रीय कम्पनी पौंड्स  ‘व्हाइट ब्यूटी’ के प्रोडक्ट का विज्ञापन किया। एक ऐसा प्रोडक्ट जो गोरेपन को सौन्दर्य और इसका पैमाना मानता है और इसका प्रचार करता है। इस विज्ञापन का संदेश साफ था, काला रंग बुरा है और इससे निजात पाने की जरूरत है। यह प्रोडक्ट अन्य प्रोडक्ट के मुकाबले और भी आगे था क्योंकि इसने भारतीय उपभोक्ताओं को न केवल ‘गोरापन’ सुनिश्चित किया बल्कि ‘गुलाबी गोरापन’ देने का भी आश्वासन दिया।
यह गोरेपन से मनोग्रहीत इस देश में जहां बाजार अनुसंधान फर्म की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गोरेपन सुनिश्चित करने वाले प्रोडक्टों ने कोका-कोला और चाय की बिी को भी पीछे छोड़ दिया है। 2010 में घोषित ए सी नीएलसन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गोरेपन प्रोडक्टों के बाजार की कीमत 400 लाख अमरीकी डॉलर से भी अधिक थी। यह बाजार जो कि प्रतिवर्ष 18 प्रतिशत वृध्दि कर रहा है। एनडीटीवी भी मीडिया के अन्य चैनलों की तरह समय समय पर इन प्रोडक्टों का विज्ञापन करता रहा है ।
कुल मिलाकर देखा जाए तो यह अभियान समाज के तीन ताकतवर तत्वों के एक साथ आने का नतीजा है। ऐसे में यह सवाल उठाना लाजिमी है कि यह अभियान कौन सा ‘गौरव’ लाने की बात करता है। इस पर भी सवाल उठाने की आवश्यकता है कि वह अभियान जो इतने गंभीर मुद्दे पर आधारित हो, व समाज के उन लोगों द्वारा चलाया जा रहा हो जिन्होंने लड़कियों की सामाजिक स्थिति को इस प्रकार प्रभावित किया हो, वह नैतिक और राजनीतिक रूप से कितना न्यायसंगत है।
(लेखिका सामाजिक-भाषावैज्ञानिक हैं)

 

SOURCE- http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/4127/10/0

 

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