धार-बड़वानी में अवैध रेत खनन वैध घोषित होगी ?

सर्वोच्च अदालत व राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल के फैसले की अवमानना |

30 अक्टूबर का धार में हुआ अधिग्रहण अवैध | बडवानी में ना हो नीलाम|

 

 

नई दिल्ली /बड़वानी-12 दिसंबर: नर्मदा घाटी के गाँव-गाँव में पिछले कुछ सालों से चल रहा रेत खनन न केवल बहुतांश अवैध है, बल्कि वह यहाँ का पर्यावरण, सरदार सरोवर जलाशय (जिसके लिए घाटी की अतिउपजाऊ ज़मीन, पीढ़ियों से बसे गाँव, सांस्कृतिक-धार्मिक स्थल पुरातत्व लाखों पेड़, जंगल इत्यादि का बलि दी जा रही है ) और नर्मदा भी बर्बादी की ओर धकेलने वाला है |

आजतक बड़वानी, धार, अलीराजपुर जिलों में जो खनन हुआ है, उसमें काफी सारा नर्मदा किनारे की तथा नर्मदा की उपनदियों की किनारे की ज़मीन ही ‘लीज’ पर देने की कागज़ी कार्यवाही के साथ बढ़ाया गया है | इनमे, सरदार सरोवर परियोजना के लिए भू-अर्जित ज़मीन, जो कि ट्रिब्यूनल के फैसले के अनुसार, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के (पुनर्वास/भू-अर्जन अधिकारी नहीं, कार्यपालन यंत्री के ) नाम होनी है- हुई भी है- उनको सम्मिलित किया गया है |

खनिज विभाग बड़वानी, धार, अलीराजपुर ने भू-अभिलेख भी न जाँचते हुए यह ‘लीज’ की प्रक्रिया, जिलाधीश के साथ चलायी, जो की पूर्णता अवैध है | मलिकी किसकी उठाने पर, केवल न.घ.वि.प्र. की आयुक्त महोदया ने जिलाधीशों को दो पत्र लिखने के अलावा कोई कार्यवाही नहीं की | नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के संचालक (पुनर्वास व पर्यावरण), श्री अफरोज अहमद जी पिछोदी खदान पर कार्यपालन यंत्री के साथ जाकर आये, उन्होंने भी केवल न.घ.वि.प्र. को पत्र लिखने के अलावा कुछ नहीं किया |

यह मामला साल भर से म. प्र. हाई कोर्ट के सामने आ चुका है तथा प्रतिवादी जिलाधीशों से न.घ.वि.प्र. से न.नि.प्र. से एवं म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण मंडल से भी जवाबी हलफनामे पेश हो चुके है | म.प्र. के मुख्य न्यायधीश के सामने नर्मदा बचाओं आन्दोलन की ओर से मेधा पाटकर तथा न.घ.वि.प्र. की ओर से एड. शेखर भार्गव पैरवी कर रहे हैं | केंद्र शासन-पर्यावरण मंत्रालय भी एड. रावल के द्वारा अपना पक्ष रखने जा रहा है |

शपथ पत्रों से यह साफ़ है कि  रेत खनन, जो नर्मदा किनारे, सरदार सरोवर के जल ग्रहण क्षेत्रो में, हो रहा है, पर्यावरण पर (खेती, हवा, पानी, पाइपलाइने एवं जलाशय ) असर ला रहा है, इसके बारे में  न.घ.वि.प्र. ने पूर्णत: अनभिज्ञता दर्शायी है; जोकि प्रत्यक्ष स्थिति जानने वालों के लिए धक्कादायक है | साथ ही, कलेक्टर, बड़वानी ने शपथ पत्र में जो पत्र व्यवहार प्रस्तुत किया है, उससे ज़ाहिर है कि पिछोदी, पेंड्रा, नदगांव, खेडी-पिच्लूर आदि प्रभावित गाँवों में खदाने व असर मंज़ूर करते हुए, डूब क्षेत्र की ज़मीने लीज पर देने सम्बन्धी कार्यपालन यंत्री न.घ.वि.प्र. की मंज़ूरी प्राप्त की गयी, यह दावा पत्र के साथ किया गया है ! धार जिलाधीश के शपथपत्र में ऐसा दावा भी नहीं किया गया है | प्रदुषण नियंतरण मंडल के शपथ पत्र से स्पष्ट है कि उनकी मंज़ूरी Air Act, 1974, Water Act, 1984 तथा पर्यावरण सुरक्षा कानून, 1986 के तहत ज़रूरी है यह प्रनिमं ने पत्र द्वारा बताने पर भी, मंज़ूरी नहीं ली गयी और नीलाम तथा खनन किया गया ! कलेक्टर, बडवानी ने 2013  में खदानों का लीज-काल आगे बढ़ाते हुए, राज्य स्तरीय प्राधिकरण द्वारा, मंज़ूरी की शर्त दाल दी लेकिन उसका पालन न होते हुए आवंटन और सहमती दी गयी तथा गंभीर असर लाने वाला खनन भी करने दिया |

ज़ाहिर है कि परस्पर विरोधी बाते शपथपत्रों में लिखी है लेकिन 27.2.2012 का सर्वोच्च अदालत का फैसल व 5.8.2013 तथा 29.11.2013 का राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का फैसला होते हुए, नीलाम किया गया | जबकि मध्य प्रदेश शासन की अपील याचिका भी सर्वोच्च अदालत तथा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने नामंज़ूर की है ! म. प्र. शासन अभी भी अपने ही, 1996 तथा 2006 के खदान सम्बन्धी नियमों का/कानूनों का ज़िक्र करती है | खुले आम अवैध खदानों से निकली, रस्ते में कई सारी जगह, रेत की सांठबाजी और उसे अब ट्रेक्टरों से भी जारी है और एक स्थल ले जाकर, दिन में कहीं 100/200, तो कहीं 400 टन रेत निकाली जा रही है !

इस रेत खनन के ही कारण कभी ज़मीन तो कहीं पाइपलाइनों का नुकसान हो ही रहा है लेकिन कार्यवाही नहीं ! इस हकीक़त के पीछे निश्चित ही भ्रष्टाचार है, जो कई स्तरों पर है ! जिलाधीश और खनिज विभाग के अलावा एनव्हीडीए भी आरोपी है!

इस परिप्रेक्ष्य में आज भी अवैध रीति से, कानून को पूर्णता ताक पर रख कर, 30 अक्टूबर को धार जिले में 32 रेत की और 14 पत्थर बोल्डर्स की लीज पर नीलामी द्वारा दी गयी | इसका ब्यौरा भी ज़ाहिर नहीं किया | क्या केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय मंज़ूरी नहीं दी तो भी खनन जारी रहेगा? क्या बड़वानी में भी मंज़ूरी / आवंटन होगी ?

अब बडवानी जिले में भी, 2-3 बार रोकने का कार्य किया गया; कभी आन्दोलनकारी किसान-मजदूर खड़े हुए तो कहीं कुछ गिने चुने अधिकारियों ने ही कार्यवाही की | ज़ाहिर है, म. प्र. शासन और राजनेता ठेकेदार, पूँजी निवेशकों के साथ है |

 

भागीरत कव्चे             रणवीर तोमर      कैलाश अवस्या            मीरा

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