नर्मदा घाटी के किसानों से चेतावनी  इस बार नहरों से
नुकसान न हो। 
पर्यावरण विषेषज्ञ समिति ने राजस्व में देखा , नहरों से नुकसान निकासी अपर्याप्त का निष्कर्ष आंदोलन का आग्रह नुकसान भरपाई कोर्ट के आदेष से त्वरित मिले।
आज, दूसरे दिन भी नर्मदा बांधों की नहरों की स्थिति जाॅचने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय का विषेषज्ञ दल हमारे साथ, न.घा.वि. प्राधिकरण के अधिकारी तथा किसान साथ होकर क्षेत्र में निकला। बडवानी जिले के अंजड तहसिल के संगोदा गांव में जाने पर दल ने देखा कि जगह जगह जहां प्राकृतिक नाले का पानी केनाूल में घूसता है वहां उसके निकास के लिए बनाये सायफन पानी के लिए बनाया नहर के नीचे का रास्ता, न केवल अपर्याप्त है बल्कि मिटटी से भरकर बंद हो चुका है। न.घा.वि.प्रा. के अधिकारी कार्यपालन मंत्री श्री जैन के द्वारा यह कहने पर कि काम तो हो ही रहा हे, आखिर कोर्ट की 25 जून के दिन आदेष बाद हमने षुरू किया हे, लोग भी भडक उठे।
           उन्होने आक्रोष के साथ कहां कि पूरे गर्मी के दिन निकल जाने पर काम षुरू करने का क्या तुक है? साथ ही, अब काम अधूरा रह गया है तो इस बारिष में फिर से फसल नुकसानी हम क्यों भुगते? जिम्मेदार कौन?
          समिति के अध्यक्ष डाॅ. दास ने, किसानों के साथ आग्रह पर जगह-जगह की स्थिति देखी ओर जाना कि नालों से पानी के साथ आयी भरपूर मिटटी से  सायफन भर चुके हैं। ठेकेदार ने केवल 8 दिन पहले कुछ मिटटी निकाली, क्योकि समिति की मुलाकात जाहीर हो गयी। समिति की राय थी कि हर प्राकृतिक नाले को दोनो बाजू से बांधना ताकि मिटटी भूअरध से न बहे, यह जरूरी है। राजस्व पिभाग के कागजात दिखाकर संगोदा के तथा राजपुर के पिपरी डेब, बिल्वा डेब जैसे गांवों के किसानों की फसल नुकसानी के पंचनामें दिखा कर आंदोलन की और से साबित किया गया कि नुकसान का कारण नहरों ही है। एन वी डी ए के अधिकारी ने किसानों के ‘‘ अतिक्रमण‘‘ का कारण देने पर किसानों ने उसे ठक झूढला दिया।
       समिति के साथ आंदोलन के प्रतिनिधी मंडल की चर्चा में कई मुद्दे उठाये। भागीरथ धनगर, चिखल्दा देवेन्द्र तोमर एकलवारा तथा जगदीष पाटीदार महेष्वर ने नर्मदा किनारे के लोग नहरों की जरूरत नहीं मानते। पाइपलाइन से ही 12 महिने पानी प्राप्त है तथा बांध का जलाषय एवम् बैक वाटर लेवल तक के उससे लागत क्षेत्र में पानी होते हुए नहरे बरबादी ला सकती है। आज भी पानी छोडने के पहले, इर्द गर्द नुकसान कई किलोमीटर हो रहा है पाॅच बाते समझायी।
हर जगह लाये 50-60 किसान पर दावा किया किया 25,000
भारतीय किसान संघ कि और से कुछ 8-10 किसान प्रतिनिधीयों ने भी चर्चा करते हुए, 10-15 कि.मी. नर्मदा से मांग रखी, आवेदन दिया लेकिन उनके बाद दो दिन समिति के साथ भ्रमण के बाद आंदोलन की अंतिम चर्चो के दौरान भाजपा प्रतिनिधी कार्यकर्ता महेष तिवारी कुछ ठेकेदारों के द्वारा बुलाये कुछ (30-40) लोग राजपुर  से आये और उन्होने चिल्लाकर हमारी बातचीत बंद करवाने की कोषिष की लेकिन आंदोलन के साथीयों ने आपने कागजागत दिखा कर, स्पष्ट षब्दों में कोर्ट का आदेष एवं कानूनी प्रावधान, पर्यावरणीय  नियमों के पालन न होने की बात दौहरायें। आज तक बिना भू-अर्जित जमीन के नुकसानी की नये कानून 2013-2014 अनुसार भरपाई, नर्मदा किनारे के सरदार सरोवर व महेष्वर प्रभावित गांवों से नहर जाल रद्द करवाने व भू-अर्जन वापस लेने की मांग पुरजोर रूप्ये रखी।
         खरगोन उद्हण सिंचाई योजना 3151 करोड रूप्ये हो कर आदिवासी विस्थापित होगे , जिनकी 100 प्रतिषत जमीन भू अर्जित की गई किन्तु आज तक भी पुनर्वास के सर्वोच्च अदालत के आदेष में होकर भी, कोई अमल नही हुआ। इन तमान मुद्दो पर सषक्त रिपोर्ट के साथ, न्याया की अपेक्षा है, यह कह कहकर समिति सत्याग्रह चलाया गया
मेधा पाटकर      मुकेष भगोरिया     जगदीष पाटीदार    देवेन्द्र तोमर
रणवीर सिंह तोमर   नरसिंग मोरे       भागीरथ धनगर  नानुराम यादव
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