- मेरा नाम मुसलमानों जैसा है
- मुझको क़त्ल करो
- और मेरे घर में आग लगा दो
- मेरे उस कमरे की इस्मत लूटो
- जिसमें मेरी बयाज़ें जाग रही हैं
- और मैं जिसमें तुलसी की रामायन से सरगोशी करके कालिदास के
- मेघदूत से ये कहता हूँ
- मेरा भी एक संदेसा है
- मेरा नाम मुसलमानों जैसा है।
- मुझको क़त्ल करो और मेरे घर में आग लगा दो
- लेकिन मेरी नस-नस में गंगा का पानी दौड़ रहा है
- मेरे लहू से चुल्लू भरकर महादेव के मुँह पर फेंको
- और उस जोगी से ये कह दो
- महादेव
- अब इस गंगा को वापस ले लो
- ये मलिच्छ तुर्कों के बदन में गाढ़ा गर्म लहू बन-बन कर दौड़ रही है।
- (‘ग़रीब-ए-शहर’में संकलित)
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