RIHAI MANCH
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
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संघ प्रमुख भागवत को बचाने में लगी हैं जांच एजेंसियां- मो0 शुऐब
असीमानंद के खुलासे पर मायावती की सीबीआई जांच की मांग चुनावी नौटंकी
इशरत जहां हत्याकांड में सीबीआई को राजनैतिक उद्देश्य नहीं दिखना उसकी
कार्यशैली पर सवालिया निशान
शाहिद आजमी की शहादत दिवस पर 11 फरवरी को साम्प्रदायिकता और आतंकवाद की
राजनीति पर सम्मेलन करेगा रिहाई मंच
13 फरवरी को आतंकवाद के फर्जी आरोप में कैद सीतापुर के बशीर हसन और शकील
के गांव में होगा रिहाई के सवाल पर सम्मेलन

लखनऊ 7 फरवरी 2014। रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुएब ने असीमानंद के
खुलासे कि मुस्लिम इलाकों में किए गए बम विस्फोटों के षडयंत्र में आरएसएस
प्रमुख, मोहन भागवत भी शामिल थे के बाद भी एनआईए द्वारा संघ प्रमुख से
पूछताछ न करना एक बार फिर साबित करता है कि जांच एजेंसियां संघ परिवार की
आतंकी गतिविधियों पर पर्दा डालने में लगी हैं। मुहम्मद शुएब ने बयान जारी
कर कहा कि आईबी और जांच एजेंसियां इससे कम मजबूत साक्ष्यों के आधार पर
सैंकड़ों की तादाद में मुसलिम युवकों को सिर्फ संदेह के आधार पर आतंकवाद
के फर्जी आरोपों में जेलों में सड़ा रही हैं जबकि असीमानंद इससे पहले भी
मीडिया को दिए साक्षात्कारों में संघ परिवार के नेता इंद्रेश कुमार और
गोरखपुर से भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की आंतकी घटनाओं में भूमिका का
खुलासा कर चुका है। बावजूद इसके न तो एनआईए ने और न ही सीबीआई ने उन्हें
पकड़ने की जरूरत समझी। यहां तक की मालेगांव बम धमाकों के आरोप में जेल
में बंद आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ भाजपा अध्यक्ष, राजनाथ
सिंह के साथ गोपनीय बैठक की तस्वीर भी मीडिया में आ चुकी है लेकिन बावजूद
इसके आजतक जांच व सुरक्षा एजेंसियों ने उनसे पूछताछ करना भी जरूरी नहीं
समझा। इससे साबित होता है कि आईबी और एनआईए आतंकवाद से लड़ने के बजाय
उसके सबसे बड़़े कारखाने को बचाने में ही दिलचस्पी रखती हंै। जिससे इन
जांच एजेंसियों व हिन्दुत्ववादी आतंकी गिरोहों की मिलीभगत भी सामने आ
जाती है जिससे देश के सामने आंतरिक सुरक्षा का खतरा बढ़ गया है।

रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने उत्तर प्रदेश की पूर्व
मुख्यमंत्री, मायावती द्वारा असीमानंद के खुलासों पर सीबीआई जांच कराने
की मांग को चुनावी नौटंकी करार देते हुए कहा कि बसपा सरकार में अगस्त
2008 में कानपुर में बजरंग दल के दो कार्यकर्ता बम बनाते हुए विस्फोट में
उड़ गए थे जिनके पास से भारी मात्रा में विस्फोटकों और शहर के मानचित्र
के अलावा उनके मोबाइल फोन में संघ परिवार के कई पदाधिकारियों के नम्बर भी
मिले थे, लेकिन न ही संघ के पदाधिकारियों से कोई पूछताछ हुई और न ही जांच
को आगे बढ़ाया गया। इसी तरह लखनऊ और फैजाबाद की कचहरियों में 2007 में
हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद तत्कालीन एडीजी लाॅ एंड आॅर्डर, ब्रजलाल
ने बयान देकर कहा था कि कचहरी धमाके, मालेगांव व मक्का मस्जिद धमाके एक
ही आतंकी संगठन ने अंजाम दिए हैं। इसके अलावा कचहरी धमाकों के जांच
अधिकरी, राजेश कुमार श्रीवास्तव ने भी लखनऊ, फैजाबाद और बाराबंकी की
अदालतों में हलफनामा देकर कहा है कि मालेगांव और मक्का मस्जिद धमाकों की
तरह ही कचहरी धमाकों को भी आंतकी संगठन हूजी ने अंजाम दिया है। लेकिन
मक्का मस्जिद और मालेगांव बम धमाकों में हिन्दुत्ववादी संगठनों की भूमिका
के खुलासे के बावजूद भी तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने कचहरी धमाकों की
सीबीआई जांच कराने की आवाम की मांग को नकार दिया था। मसीहुद्दीन संजरी ने
कहा कि इसी तरह 23 दिसम्बर 2007 को मायावती की पुलिस ने नरेंद्र मोदी की
तर्ज पर शाल बेचने आए दो बेगुनाह कश्मीरी नौजावानों को चिनहट में यह कहकर
फर्जी एनकाउंटर में मार दिया कि ये दोनों आतंकवादी थे और मायावती को
मारने आए थे। जिस पर सवाल उठनेे के बावजूद मायावती सरकार ने किसी भी
प्रकार की कोई जांच नहीं करवाई। ऐसे में असीमानंद के खुलासे पर मायावती
की सीबीआई जांच की मांग को सिवाय चुनावी नाटक के और कुछ नही कहा जा सकता
है।

रिहाई मंच के प्रवक्ता, राजीव यादव व शाहनवाज आलम ने कहा कि जिस तरह इशरत
जहां फर्जी मुठभेड़ कांड की चार्जशीट में भाजपा नेता अमित शाह का नाम न
शामिल करने के पीछे सीबीआई ने यह दलील दी है कि उसे इस हत्याकांड में कोई
राजनीतिक उद्देश्य नहीं मिला, इससे जांच एजेंसियों का संघी तत्वों के
प्रति सहानुभूति पूर्ण रवैया फिर उजागर हो गया है। जबकि इशरत जहां फर्जी
मुठभेड़ मामले में सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी देवेंद्रगिरि हिम्मतगिरि ने
एडिश्नल चीफ मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट, मुम्बई के समक्ष अपने बयान में कई
अन्य गवाहों की तरह साफ-साफ कहा था कि आईबी अधिकारी, राजेंद्र कुमार ने
उनके सामने डीजी बंजारा से कहा था कि एनकाउंटर के लिए वह मुख्यमंत्री से
बात कर लें। जिस पर बंजारा ने जवाब दिया था कि उनकी बात सफेद दाढ़ी और
काली दाढ़ी से हो गई है। प्रवक्ताओं ने कहा कि अगर देश की सर्वोच्च जांच
एजेंसी अपराधियों के बीच होने वाली ऐसी साफ सांकेतिक भाषा का भी विश्लेषण
नहीं कर पाती है जिसे पूरा देश समझता है कि वो बात किसके लिए कही गई है
तब फिर सीबीआई की पूरी कार्यशैली और उसके अस्तित्व पर ही सवालिया निशान
लग जाता है।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि आगामी 11 फरवरी 2014 को शहीद एडवोकेट
शाहिद आजमी, जिन्हें चार साल पहले मुम्बई RIHAI MANCH
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
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संघ प्रमुख भागवत को बचाने में लगी हैं जांच एजेंसियां- मो0 शुऐब
असीमानंद के खुलासे पर मायावती की सीबीआई जांच की मांग चुनावी नौटंकी
इशरत जहां हत्याकांड में सीबीआई को राजनैतिक उद्देश्य नहीं दिखना उसकी
कार्यशैली पर सवालिया निशान
शाहिद आजमी की शहादत दिवस पर 11 फरवरी को साम्प्रदायिकता और आतंकवाद की
राजनीति पर सम्मेलन करेगा रिहाई मंच
13 फरवरी को आतंकवाद के फर्जी आरोप में कैद सीतापुर के बशीर हसन और शकील
के गांव में होगा रिहाई के सवाल पर सम्मेलन

लखनऊ 7 फरवरी 2014। रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुएब ने असीमानंद के
खुलासे कि मुस्लिम इलाकों में किए गए बम विस्फोटों के षडयंत्र में आरएसएस
प्रमुख, मोहन भागवत भी शामिल थे के बाद भी एनआईए द्वारा संघ प्रमुख से
पूछताछ न करना एक बार फिर साबित करता है कि जांच एजेंसियां संघ परिवार की
आतंकी गतिविधियों पर पर्दा डालने में लगी हैं। मुहम्मद शुएब ने बयान जारी
कर कहा कि आईबी और जांच एजेंसियां इससे कम मजबूत साक्ष्यों के आधार पर
सैंकड़ों की तादाद में मुसलिम युवकों को सिर्फ संदेह के आधार पर आतंकवाद
के फर्जी आरोपों में जेलों में सड़ा रही हैं जबकि असीमानंद इससे पहले भी
मीडिया को दिए साक्षात्कारों में संघ परिवार के नेता इंद्रेश कुमार और
गोरखपुर से भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की आंतकी घटनाओं में भूमिका का
खुलासा कर चुका है। बावजूद इसके न तो एनआईए ने और न ही सीबीआई ने उन्हें
पकड़ने की जरूरत समझी। यहां तक की मालेगांव बम धमाकों के आरोप में जेल
में बंद आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ भाजपा अध्यक्ष, राजनाथ
सिंह के साथ गोपनीय बैठक की तस्वीर भी मीडिया में आ चुकी है लेकिन बावजूद
इसके आजतक जांच व सुरक्षा एजेंसियों ने उनसे पूछताछ करना भी जरूरी नहीं
समझा। इससे साबित होता है कि आईबी और एनआईए आतंकवाद से लड़ने के बजाय
उसके सबसे बड़़े कारखाने को बचाने में ही दिलचस्पी रखती हंै। जिससे इन
जांच एजेंसियों व हिन्दुत्ववादी आतंकी गिरोहों की मिलीभगत भी सामने आ
जाती है जिससे देश के सामने आंतरिक सुरक्षा का खतरा बढ़ गया है।

रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने उत्तर प्रदेश की पूर्व
मुख्यमंत्री, मायावती द्वारा असीमानंद के खुलासों पर सीबीआई जांच कराने
की मांग को चुनावी नौटंकी करार देते हुए कहा कि बसपा सरकार में अगस्त
2008 में कानपुर में बजरंग दल के दो कार्यकर्ता बम बनाते हुए विस्फोट में
उड़ गए थे जिनके पास से भारी मात्रा में विस्फोटकों और शहर के मानचित्र
के अलावा उनके मोबाइल फोन में संघ परिवार के कई पदाधिकारियों के नम्बर भी
मिले थे, लेकिन न ही संघ के पदाधिकारियों से कोई पूछताछ हुई और न ही जांच
को आगे बढ़ाया गया। इसी तरह लखनऊ और फैजाबाद की कचहरियों में 2007 में
हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद तत्कालीन एडीजी लाॅ एंड आॅर्डर, ब्रजलाल
ने बयान देकर कहा था कि कचहरी धमाके, मालेगांव व मक्का मस्जिद धमाके एक
ही आतंकी संगठन ने अंजाम दिए हैं। इसके अलावा कचहरी धमाकों के जांच
अधिकरी, राजेश कुमार श्रीवास्तव ने भी लखनऊ, फैजाबाद और बाराबंकी की
अदालतों में हलफनामा देकर कहा है कि मालेगांव और मक्का मस्जिद धमाकों की
तरह ही कचहरी धमाकों को भी आंतकी संगठन हूजी ने अंजाम दिया है। लेकिन
मक्का मस्जिद और मालेगांव बम धमाकों में हिन्दुत्ववादी संगठनों की भूमिका
के खुलासे के बावजूद भी तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने कचहरी धमाकों की
सीबीआई जांच कराने की आवाम की मांग को नकार दिया था। मसीहुद्दीन संजरी ने
कहा कि इसी तरह 23 दिसम्बर 2007 को मायावती की पुलिस ने नरेंद्र मोदी की
तर्ज पर शाल बेचने आए दो बेगुनाह कश्मीरी नौजावानों को चिनहट में यह कहकर
फर्जी एनकाउंटर में मार दिया कि ये दोनों आतंकवादी थे और मायावती को
मारने आए थे। जिस पर सवाल उठनेे के बावजूद मायावती सरकार ने किसी भी
प्रकार की कोई जांच नहीं करवाई। ऐसे में असीमानंद के खुलासे पर मायावती
की सीबीआई जांच की मांग को सिवाय चुनावी नाटक के और कुछ नही कहा जा सकता
है।

रिहाई मंच के प्रवक्ता, राजीव यादव व शाहनवाज आलम ने कहा कि जिस तरह इशरत
जहां फर्जी मुठभेड़ कांड की चार्जशीट में भाजपा नेता अमित शाह का नाम न
शामिल करने के पीछे सीबीआई ने यह दलील दी है कि उसे इस हत्याकांड में कोई
राजनीतिक उद्देश्य नहीं मिला, इससे जांच एजेंसियों का संघी तत्वों के
प्रति सहानुभूति पूर्ण रवैया फिर उजागर हो गया है। जबकि इशरत जहां फर्जी
मुठभेड़ मामले में सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी देवेंद्रगिरि हिम्मतगिरि ने
एडिश्नल चीफ मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट, मुम्बई के समक्ष अपने बयान में कई
अन्य गवाहों की तरह साफ-साफ कहा था कि आईबी अधिकारी, राजेंद्र कुमार ने
उनके सामने डीजी बंजारा से कहा था कि एनकाउंटर के लिए वह मुख्यमंत्री से
बात कर लें। जिस पर बंजारा ने जवाब दिया था कि उनकी बात सफेद दाढ़ी और
काली दाढ़ी से हो गई है। प्रवक्ताओं ने कहा कि अगर देश की सर्वोच्च जांच
एजेंसी अपराधियों के बीच होने वाली ऐसी साफ सांकेतिक भाषा का भी विश्लेषण
नहीं कर पाती है जिसे पूरा देश समझता है कि वो बात किसके लिए कही गई है
तब फिर सीबीआई की पूरी कार्यशैली और उसके अस्तित्व पर ही सवालिया निशान
लग जाता है।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि आगामी 11 फरवरी 2014 को शहीद एडवोकेट
शाहिद आजमी, जिन्हें चार साल पहले मुम्बई में आईबी और साम्प्रदायिक
शक्तियों के गठजोड़ ने कत्ल कर दिया था, की चैथी शहादत दिवस पर यूपी
प्रेस क्लब लखनऊ में 11 बजे से ‘‘साम्प्रदायिक हिंसा और आतंकवाद का
हौव्वा, संदर्भ – गुजरात के बाद अब मुजफ्फरनगर’’ पर सम्मेलन आयोजित किया
जाएगा। वहीं सीतापुर से आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए बेगुनाह बशीर हसन और
मोहम्मद शकील के भाई मोहम्मद इसहाक ने कहा कि 13 फरवरी को बिसवां
विधानसभा क्षेत्र स्थित गांव कुतुबपुर में आतंकवाद के नाम पर कैद
बेगुनाहों की रिहाई के सवाल पर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752में आईबी और साम्प्रदायिक
शक्तियों के गठजोड़ ने कत्ल कर दिया था, की चैथी शहादत दिवस पर यूपी
प्रेस क्लब लखनऊ में 11 बजे से ‘‘साम्प्रदायिक हिंसा और आतंकवाद का
हौव्वा, संदर्भ – गुजरात के बाद अब मुजफ्फरनगर’’ पर सम्मेलन आयोजित किया
जाएगा। वहीं सीतापुर से आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए बेगुनाह बशीर हसन और
मोहम्मद शकील के भाई मोहम्मद इसहाक ने कहा कि 13 फरवरी को बिसवां
विधानसभा क्षेत्र स्थित गांव कुतुबपुर में आतंकवाद के नाम पर कैद
बेगुनाहों की रिहाई के सवाल पर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752