डब्ल्यूएसएस
उत्तर प्रदेश
24 सितम्बर। इलाहाबाद। हम डब्ल्यूएसएस के लोगछेड़खानी के खिलाफ अनशन पर बैठी छात्राआंे पर पुलिसप्रशासन द्वारा किये गये बर्बर लाठीचार्ज की कड़े शब्दों मेंनिंदा करते हैं, तथा ऐसा करने का आदेश देने वालों पर कड़ीकार्यवाही करने की मांग करते हैं।
जैसा कि अब सामने आ चुका है कि 21 सितम्बर कोबीएचयू कैम्पस के अन्दर स्थित त्रिवेणी छात्रावास के सामने बीएफए की एक छात्रा के साथ वहां के एक लड़के नेबदतमीजी की और विरोध करने पर रेप करने की धमकी भीदी। इसकी शिकायत लेकर जब वह लड़की छात्रावास कीवार्डेन के पास गयी तो वार्डेन ने उल्टे उसे ही कहा कि इतनीदेर तक हास्टल के बारह क्यों थीं। वैसे तो लड़कियां या कोईभी नागरिक जिस भी समय घर से बाहर हो उसकी सुरक्षा कीजिम्मेदारी सम्बन्धित शासन प्रशासन की होनी चाहिए,लेकिन जिस वक्त यह घटना हुई शाम के छ ही बजे थे। छात्राको चुप रहने की सलाह दी गयी। इस बात से छात्राओं में रोषबढ़ गया। अगले दन सुबह से ही छात्रावास की लड़कियांबीएचयू के मुख्य गेट पर इकट्ठी हो गयीं और घटना के विरोधके साथ बीएचयू प्रशासन से कैम्पस में सुरक्षित माहौल देनेकी मांग करने लगी। इसे लेकर इनकी मांगें बेहद सामान्य थी,जिसे प्रशासन आराम से स्वीकार कर सकता था और उसेकरना भी चाहिए। लेकिन मानने की बजाय प्रशासन ने औरवीसी ने लड़कियों से मिलना और उन्हें आश्वस्त करना भीजरूरी नहीं समझा। इसलिए गेट पर लड़कियों का कांरवाबढ़ता गया। 22 की सुबह से 23 सितम्बर की रात तक वे गेटपर ही बैठकर धरना देती रहीं।
यह बेहद शर्मनाक है कि इन्हें सुरक्षा का आश्वासन देने कीबजाय 23 सितम्बर की रात बिना किसी चेतावनी के इन परबर्बर लाठीचार्ज किया गया। यह भी आपत्तिजनक है किलाठीचार्ज के वक्त महिला पुलिस नहीं बल्कि पुलिस सिपाहीमौजूद थे, जिन्होंने लड़कियों से धक्कामुक्की भी की औरउन्हें बुरी तरह पीटा। इस दौरान महिला पुलिस को पीछे करदिया गया। यह गैरकानूनी भी है हम इसकी कड़े शब्दों मेंनिंदा करते हैं।
इस लाठीचार्ज में लड़कियों को काफी चोट आयी है, लेकिनइसी घायलावस्था में उनसे छात्रावास खाली करनेे को कहदिया गया है। विश्ववि़द्यालय प्रशाासन ने इस अवस्था मेंलड़कियों को सड़क पर असुरक्षित छोड़ दिया है। यह उनकीएक और बड़ी गलती है। हम विश्वविद्यालय प्रशासन की इसशर्मनाक कार्यवाही की निंदा करते हैं।
बीएचयू की लड़कियों के साथ प्रशासनिक भेदभाव कईसालों से चलता आ रहा है, लेकिन पिछले दो सालों से यहअपने चरम पर है। यहां की लड़कियों को छात्रावासों मेंनानवेज खाने पर रोक लगा दी गयी है रात में नेट सर्फिंग पररोक, फोन करने पर रोक, देर तक हॉस्टल से बाहर रहने पररोक और कई तरह की रोक लगाई जा रही है। गौरतलब हैकि यहां पर देर का मतलब शाम छ बजे के बाद से शुरू होजाता है। जबकि यहां पढ़ने वाले लड़कों पर ऐसी कोई पाबंदीनहीं है। लड़कियों ने जब इसका विरोध किया तो नये सत्र मेंइन्हें छात्रावास देते समय ऐसे कागज पर हस्ताक्षर करा लियागया, जिसमें लिखा था कि वे किसी धरना, प्रदर्शन याराजनैतिक गतिविधि में हिस्सेदारी नहीं करेंगी। बीएचयू केवीसी और प्राक्टर का इन सभी बातों के लिए यह तर्क है किवे लड़कियों को ‘संस्कारी’ बनाना चाहते हैं। इससे उलटकैम्पस के अन्दर लड़कों की अराजकता दिन पर दिन बढ़तीही जा रही है, ये लड़के लड़कियों के छात्रावासों के आगेघूमते हैं, उनके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं, कैम्पस केअन्दर और गेट पर जा रही लड़कियों पर अश्लील फब्तियांकसते हैं, उन्हें रोकने का प्रयास करते है, अश्लील हरकतेकरते हैं, लड़कियों के छात्रावास की खिड़कियों पर पत्थरफेंकते हैं, लड़कियों को पकड़ने और छूने की हर संभवकोशिश करते हैं। कैम्पस के अन्दर के इस महिला विरोधीमाहौल पर वीसी मौन रहते हैं। बल्कि लड़कियों को ही‘संस्कारी बनने की, चुप रहने की और सूर्यास्त के पहलेछात्रावासों के अन्दर आ जाने की सलाह देते हैं, न सिर्फसलाह देते हैं, बल्कि उसे लागू करने के लिए ऐसे हीअनुशासन भी बनवाते हैं।
डब्ल्यूएसएस की प्रदेश इकाई बीएचयू में छात्राओं पर हुएबर्ब लाठीचार्ज की, साथ ही लड़कियों के लिए बनाये गये इसअसुरक्षित और गैरजनवादी माहौल की निंदा करते हैं। हमइसके खिलाफ वहां चल रहे आन्दोलन का समर्थन करते हुएदोषी पुलिस कर्मियों तथा विवि प्रशासन पर कार्यवाही करनेकी मांग करते हैं।
द्वारा जारी
डल्यूएसएस उत्तर प्रदेश
डा.संध्या पाण्डेय
पद्मा सिंह
सीमा आजाद
स्वाती आजाद
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September 26, 2017 at 4:39 pm
The brutalities on women by police forces must be condemned. Their rally against the atrocities should not be spared