Rohit Prajapati
हर श्रमजीवी गुनहगार हैं ।
हर बेरोजगार गुनहगार हैं ।
हर गरीब गुनहगार हैं ।
हर बेघर गुनहगार हैं ।
हर शिक्षण से वंचित गुनहगार हैं ।
हर बाल मजदूर गुनहगार हैं ।
हर ‘शिक्षण के अधिकार’ की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर स्वास्थ्य सेवा से वंचित गुनहगार हैं ।
हर ‘स्वस्थ्य के अधिकार’ की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर ‘सूचना के अधिकार’ की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर लोकशाही की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर न्याय की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर सामाजिक सुरक्षा की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर सामाजिक न्याय की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर समानता की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर पर्यावरण के रक्षा की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर न्यायी समाज की बात करनेवाला गुनहगार हैं ।
हर दमन, शोषण के खिलाफ बोलनेवाला गुनहगार हैं ।
हर विनाशकारी सरकारी विकास के खिलाफ बोलनेवाला गुनहगार हैं ।
मैं ओर तुम – सब गुनहगार हैं ।
सिर्फ गुनहगार ही नहीं ‘मैं ओर तुम’ – सब देश के गद्दार हैं ।
तो फिर “देश के गद्दार” से “देश भक्त” बनने के लिए क्या करना होगा ।
जो “उनको” हो पसंद वही बात कहो तुम ।
वो “विनाश” को अगर “विकास” कहे तो “विकास” कहो तुम ।
वो “हिंसा” को अगर “शांति” कहे तो “शांति” कहो तुम ।
वो “स्त्री – पुरुष समानता” को अगर “ना” कहे तो “ना” कहो तुम ।
वो जो बात को “हा” कहे तो उस बात को “हा” कहो तुम ।
वो जो बात को “ना” कहे तो उस बात को “ना” कहो तुम ।
अगर वो “हिटलरशाही” को “लोकशाही” कहे तो “लोकशाही” कहो तुम ।
April 26, 2017 at 4:20 pm
Zor se kaho! Shor se kaho
Iss desh mein rehna to kaho
Indeevar shabdon mein kaho
‘Jo tum ko ho pasand vahi baat kahengey
Tum din ko agar raat kaho, raat kahengey’