भोपाल: 28 अक्टूबर 2016: राष्ट्रीय सेक्यूलर मंच के चार सदस्यीय-टीम द्वारा धार जिले के दंगा प्रभावित क्षेत्र का दिनांक 26 अक्टूबर 2016 को भ्रमण किया गया। यहां दिनांक 12 अक्टूबर, 2016 को सांप्रदायिक हिंसा हुई थी।
टीम ने पीपल्या व गंधवानी के दंगापीड़ितों और प्रत्यक्षदर्शियों से बात की और घटना स्थलों का मुआयना किया। प्रभावितों द्वारा टीम के सदस्यों को घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बताया गया। टीम में एल.एस. हरदेनिया, साजिद कुरैशी, अनिल धीमान एवं तौकीर निज़ामी शामिल थे।
पीपल्या में पीड़ितों ने बताया कि वहां उपद्रवियों द्वारा लगभग 25 मकानों और 5 दुकानों में आगजनी व लूटपाट की गई, लोगों के साथ मारपीट और महिलाओं के साथ बदसलूकी भी हुई। घटनास्थल को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वहां किसी आक्रमणकारी सेना ने हमला किया हो। वहां घरों में टी.वी., फ्रिज, गैस चूल्हा, अलमारी,निकट भविष्य में होने वाली शादियों के लिए रखे गये जेवरात, कपड़े, बर्तन, अनाज आदि को या तो जला दिया गया या लूट लिया गया। अनेक वाहनों, जिनमें मोटर साइकिल, जीप, ट्रेक्टर, लोडिंग ऑटो, ट्रक आदि शामिल थे, को भी आग के हवाले कर दिया गया। उपद्रवियों द्वारा कई घरों में रखे धार्मिक ग्रंथ कुरान शरीफ को भी जलाया गया। गांव की मस्जिद में भी आगजनी की गई और वहां रखे गये धार्मिक ग्रंथों ‘सिपारों’ को जला दिया गया और पंखे,माइक, लाइट आदि को तोड़ा गया। मीनार पर चढ़ कर अज़ान देने के लिए उपयोग आने वाले लाउडस्पीकर को भी निशाना बनाया गया। मोहर्रम पर मुस्लिम धर्मावलंबियों के ताजियों के साथ तोड़फोड़ की गई और उन्हें जलाया गया।
पीड़ितों ने टीम को बताया कि 12 अक्टूबर, 2016 को शाम 7.30 बजे जब भीड़ द्वारा हिंसा की तैयारी की जा रही थी तब तत्कालीन एस.डी.एम. घटनास्थल पर मौजूद थे लेकिन आगजनी शुरू होते ही वे घटना स्थल छोड़कर खाना खाने चले गये। अगर वे स्थिति को देखते हुए वहां रुके रहते और पुलिस बल को बुला लिया जाता तो घटना रुक सकती थी।
गांव वालों द्वारा बताया गया कि वहां डॉक्टर राधेश्याम पाटीदार ने अपने मकान पर स्थायी रुप से सायरन लगाया हुआ है, जिसकी आवाज आसपास के दूसरे गांवों तक भी जाती है। सायरन का इस्तेमाल लम्बे समय से भीड़ को इकट्ठा करने और उकसाने के लिए किया जाता है। अगर एक बार सायरन बजता है तो इसका मतलब है कि साधारण रुप से एकत्रित होना है। दो बार सायरन बजने का मतलब किसी गंभीर गतिविधि के लिए एकत्रित होना है। अगर सायरन तीन बार बजे तो इसका मतलब है कि तैयारी के साथ इकट्ठा होना है।
पीड़ितों ने बताया कि जिन लोगों के साथ हिंसा और आगजनी हुई, पुलिस द्वारा उनमें से ही 13 लोगों पर कई धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिए गए हैं जबकि आगजनी और लूटपाट करने वालों में से अनेकों की अभी तक गिरफ्तारी तक नहीं हुई है।
टीम ने वहां जा कर महसूस किया कि घटना के बाद से वहां भय का माहौल है और प्रशासन द्वारा इसे दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है और ना ही इस दौरान हुए नुकसान का आंकलन किया गया है। क्षतिग्रस्त मकान और मस्जिद अभी भी उसी अवस्था में हैं। किसी भी पीड़ित को अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। प्रशासन द्वारा अभी तक मस्जिद की पवित्रता को कायम करने का भी कोई प्रयास नही किया गया है।
गंधवानी के पीड़ितों ने टीम को बताया कि यहां एक विवादित स्थल है जिस पर पूर्व में दोनों वर्गो के दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया था। विवाद बढ़ने पर विगत् वर्ष स्थानीय प्रशासन द्वारा वहां पुलिस चैकी की स्थापना की गई थी। स्थानीय प्रशासन द्वारा गणेशचतुर्थी, दुर्गा पूजा एवं मोहर्रम के अवसर पर एस.डी.एम. और एस.डी.ओ.पी के नेतृत्व में शांति समिति की बैठक का आयोजन किया गया था जिसमें तय किया गया था कि उक्त विवादित स्थल पर किसी धार्मिक गतिविधि का आयोजन नहीं किया जायेगा। लेकिन पुलिस पर दबाव डाल कर वहां गणेश प्रतिमा एवं दुर्गा प्रतिमा की स्थापना कर दी गई। दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के बाद मोहर्रम का जुलूस उपरोक्त स्थान से निकल रहा था तब दोनों पक्षों में तनाव हो गया और बाद में यह पथराव और आगजनी में तब्दील हो गया। इस दौरान मुसलमानों की लगभग 14 दुकानों में आगजनी और लूटपाट की गई। गंधवानी कस्बा लगातार तीन दिनों तक असामाजिक तत्वों के हवाले रहा। घटना के बाद अब वहां मुस्लिम समुदाय का बहिष्कार शुरू हो गया है और लगभग 35 मुस्लिम दुकानदारों से, जो अपनी दुकानें हिन्दुओं के भवनों में किराये से चला रहे थे, दुकानें खाली करा ली गई हैं।
विशेष:- पीपल्या में जहां आगजनी हुई है वहां मुस्लिम परिवारों के बीच एक मंदिर है जिसे कोई नुकसान नही पहुंचा है और यह अपनी पवित्रता के साथ सुरक्षित है।
हमारी मांगें
- पीड़ित परिवारों को यथेष्ठ राहत दी जाए। उनके क्षतिग्रस्त मकानों का पुनर्निर्माण कराया जाये और जिन लोगों की दुकानें जलायीं/लूटी गई हैं उन्हें आर्थिक सहायता दी जाए।
- पीपल्या मस्जिद की तुरंत मरम्मत कर उसे पूर्व की स्थिति में लाया जाए।
- सभी प्रभावित परिवारों के लिए प्राथमिकता के तौर पर कम से कम तीन माह के राशन की व्यवस्था की जाए।
- पीड़ितों द्वारा बताया गया है कि उपद्रवियों पर सिर्फ आगजनी की धारा लगायी गई है। हमारी मांग है कि उन पर लूटपाट की धारा भी लगायी जाए और लूटी गई संपत्ति को बरामद किया जाए।
- घायल लोगों को इलाज के लिए सहायता उपलब्ध करायी जाए।
- जिन पीड़ित परिवारों के शादी के लिए एकत्रित किये गये कपड़े, गहनें, जेवरात आदि या तो जला दिये गये हैं या लूट लिए गये हैं, ऐसे परिवारों की लड़कियों के शादी हेतु विशेष आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाए।
- साम्प्रदायिक हिंसा से प्रभावित परिवारों के बच्चों की मनोदशा को सुधारने हेतु उनकी काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए।
- धार संवेदनशील जिला है जहां साम्प्रदायिक घटनाएं बढ़ती जा रही है इस स्थिति को देखते हुए वहां जिम्मेदार पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की तैनाती की जाए।
- पीड़ितों द्वारा बताया गया है कि घटना क्रम पूर्वनियोजित था इसलिए इसकी प्रशासनिक जांच करायी जाए जिससे यह पता लगाया जा सके कि इसके पीछे कौन से संगठन और व्यक्ति थे
- पीड़ित व्यक्तियों द्वारा इस घटना में शामिल ऐसे लोगों के नाम बताये गये हैं जो पहले भी इस तरह की घटनाओं में शामिल रहे हैं, उन्हें चिन्हित किया जाये और उन पर रासुका लगाई जाए।
- पाटीदार के मकान पर लगा सायरन तुरंत हटाया जाए।
भवदीयः- एल.एस. हरदेनिया (9425301582), साजिद कुरैशी (9425004363), अनिल धीमान (9893809950), तौकीर निजामी (9755990081)
October 29, 2016 at 12:11 pm
The content of the report reflects people’s sufferings as a result of communal clashes. The matter should be investigated and the guilty punished by the rule if law.