राहुल पांडेय

अपने यहां अगर डॉक्टर शुद्ध हवा का नुस्खा पर्चे पर लि‍खने लगें तो मुझे पूरा यकीन है कि देश की सबसे बड़ी कमीशनखोरी वहीं होगी।

पता नहीं क्यों मुझे वो तस्वीर भी दि‍ख रही है जि‍समें दवाखानों में इसके लि‍ए मारामारी मची हुई है। हर पर्चे में शुद्ध हवा ठीक वैसे ही लि‍खी मि‍ल रही है, जैसे इन दि‍नों हर दवा के साथ एंटीएसि‍ड या एंटीएलर्जिक लि‍खी मि‍लती है। कभी मन हो तो एक छोटा सा टेस्ट करें। अपने यहां कि‍सी भी फूं-फां वाले डॉक्टर की क्लीनि‍क के बाहर खड़े होकर पांच पर्चे चेक कर लें, सारा माजरा साफ हो जाएगा।

हमारे देश की जो आबोहवा है, उसमें दो दवाइयों की खपत सबसे ज्यादा है। पहली दवा नहीं है बल्कि वो ग्लूकोज है जो मरीज के कि‍सी भी अस्पताल में पहुंचते ही उसे दि‍या जाता है और दूसरी दवा है पैरासीटामॉल। दोनों ही बेसि‍क नीड हैं, हर वक्त की बड़ी जरूरत हैं।

सरकार का नि‍यम है कि ग्लूकोज (कॉमन सोल्यूशन) या डीएनएस-5 की एमआरपी 25 रुपये से ज्यादा नहीं होगी और सोडि‍यम क्लोराइड की 100 एमएल की बोतल की एमआरपी 14 रुपये से ज्यादा नहीं होगी। इतनी कम एमआरपी और कड़े सरकारी नि‍यंत्रण के बाद भी कमीशनखोर कंपनि‍यों और डॉक्टरों ने इसका तोड़ नि‍कालकर रख दि‍या है। कैसे?? ऐसे!!

दो कंपनि‍यां हैं, सबसे पहले तो इन्होंने दुनि‍या में ऐसी जगह से वो ग्लूकोज और सोडि‍यम क्लोराइड खरीदे, जहां पर ये सबसे सस्ते मि‍लते हैं। (सबसे सस्ता माल चीन में ही मि‍लता है।) वहां से इन्होंने माल इम्पोर्ट कि‍या मलेशि‍या। मलेशि‍या में ये चीजें कांच या प्लास्टि‍क की बोतल की जगह पॉलीथि‍न में पैक कराईं और भारत मंगा लि‍या। कुल मि‍लाकर जो लागत आई, वो भारत में इन्हें बनाने से भी कम की लागत आई। अब जब माल भारत पहुंच गया तो शुरू हुआ खुल्ला खेल फर्रुखाबादी।

खेल ऐसे कि ग्लूकोज की जो बोतल सरकारी नियंत्रण के चलते 25 रुपये से ज्यादा की नहीं बेची जा सकती थी, पॉलि‍थि‍न के पैक में वही चीज 80 रुपये में बेची जा रही है और हमारे कमीशनखोर डाक साब जबरदस्ती यही पॉलीथि‍न का ही पैक मरीजों को चढ़ा रहे हैं। यही हाल सोडि‍यम क्लोराइड की 100 एमल की बोतल के साथ हुआ। ये 14 रुपये से ज्यादा की नहीं बेची जा सकती थी, लेकि‍न पॉलीथि‍न के पैक में ये 90 रुपये की बेची जा रही है। जबरदस्ती बेची जा रही है।http://www.hastakshep.com/hindi-news/2016/03/28/90-रुपये-में-जबरदस्ती-बेची-ज