
भूमि अधिकार आंदोलन के बैनर तले विरोध प्रदर्शन
आज दिनांक 2 सितम्बर 2016 को प्रदेश के 27 जनसंगठनों व जनआंदोलनों ने भूमि अधिकार आंदोलन के बैनर तले करीब 600 की संख्या में इकट्ठा होकर देश के श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल को मज़बूती से समर्थन देते हुए उ0प्र0 की राजधानी लखनऊ में रैली निकाल कर गांधी प्रतिमा जी.पी.ओ पर जनसभा करके पुरज़ोर तरीके से विरोध प्रदर्शन किया।
दोपहर करीब 11 बजे चारबाग स्टेशन से रैली की शुरूआत की गयी। दूर दराज के वनक्षेत्रों कैमूर उ0प्र0 जनपद सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदोली व बिहार अधौरा, बुन्देलखण्ड मानिकपुर चित्रकूट, तराई लखीमपुर खीरी व शहरी क्षेत्रों लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, बनारस, मिरजापुर, आजमगढ़ व चंदोली आदि में वनाधिकारों, ज़मीन के सवाल पर, बड़े बांधों के लिये अवैध भूमि अधिग्रहण व फर्जी मुकदमों आदि के सवाल पर अपनी अपनी जगह पर संघर्ष कर रहे समुदायों व कार्यकर्ताओं का यह समूह सरकार की मज़दूर विरोधी व जनविरोधी नीतियों, महंगाई व ग्रामीण श्रमिक वर्ग के ऊपर हो रहे सरकारी दमन के खिलाफ पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ यह रैली चारबाग से स्टेशन मार्ग, हुसैन गंज, बर्लिंग्टन चैराहा से मुड़कर कैसर बाग होते विधानसभा मार्ग पर स्थित सभा स्थल गाॅधी प्रतिमा की ओर बढ़ रहे थे कि गाॅधी प्रतिमा के नज़दीक दारुलशफ़ा के ठीक सामने लालबाग चैक पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों का रास्ता बाधित कर दिया व रैली को दूसरी तरफ मोड़ने की कोशिश करने लगे। आंदोलनरत महिलाओं द्वारा इस पर विरोध करते हुए जब सभा स्थल की ओर जाने की कोशिश की तो पुलिस ने लाठी चार्ज भी कर दिया, जिससे 3 महिलायें चोटिल हो गयीं। जिससे लोगों में उत्तेजना पैदा होने की संभावना पैदा हो गई। लेकिन लोगों के जोशीले रुख को देखते हुए पुलिस को पीछे हटना पड़ा व लोगों सभा स्थल तक पहुंचने दिया।
गाॅधी प्रतिमा पर आयोजित जनसभा को अशोक चैधरी, राजेन्द्र मिश्रा, रवीन्द्र सिंह, रोमा, निबादा राणा, मातादयाल, गम्भीरा प्रसाद, सुरेन्द्र प्रसाद, रामचन्द्र राणा व राजकुमारी द्वारा जोशीले अन्दाज़ में केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की अवैध भूमि अधिग्रहण करके बांध निर्माण, वनाधिकार कानून के असफल क्रियान्वयन, श्रमिक कानूनों के साथ छेड़-छाड़, विनाशकारी विकास योजनाओं, लगातार गरीब तबकों की कमर तोड़ती बढ़ती महंगाई जैसी जनविरोधी व मज़दूर विरोधी नीतियों के मुद्दों पर घेरते हुए खुले शब्दांे चेतावनी देते हुए सभा को सम्बोधित किया। इस सभा में ग्रामीण श्रमिक लोगों पर सरकार के दमनात्मक रवैये व महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के मुद्दे भी वक्ताओं द्वारा मज़बूती से उठाये गये। सभा का संचालन अमित मिश्रा ने किया।
देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में किये गये इस विरोध प्रदर्शन में भूमि अधिकार आन्दोलन के बैनर तले अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन, जनसंघर्ष समन्वय समिति, नेशनल फेडरेशन आफ दलित लैंड राईट्स मूवमेंट, लोक हक़दारी मोर्चा, बारा पावर प्लांट, कैमूर क्षेत्र महिला मज़दूर किसान संघर्ष समिति, कम्यूनिस्ट वर्कर्स प्लेटफार्म, अखिल भारतीय जय भीम सेना, बौद्ध सेना, थारू आदिवासी महिला मज़दूर किसान मंच, पाठा दलित भू-अधिकार मंच, कैमूर मुक्ति मोर्चा-अधोरा बिहार, किसान विकास मंच, मज़दूर शक्ति संगठन, विकल्प-गोरखपुर, एकाउंटेबल सिटीजन फोरम, श्रमिक आंदोलन, जनपैरवी मंच, किसान मज़दूर एकता समिति, कन्हर बचाओ आंदोलन, इंसाफ-उत्तर प्रदेश, वीडियो वालेंटियर, एन.ए.पी.एम, ए.आई.सी.सी.टी.यू, संघर्ष संवाद, भारतीय मज़दूर यूनियन, रिहाई मंच व जनमंच-फैजाबाद के प्रतिनिधीगण व संघर्षशील वनाश्रित समुदायों की बड़ी संख्या में महिलाएं व पुरुष शामिल हुए।
प्रमुख मांगे-
1. भूमि अध्यादेश को वापिस लिया जाए व भू अधिकारों एवं श्रमाधिकारों के साथ कानून के साथ किसान व श्रम विरोधी छेड़छाड़ बंद की जाए।
2. आज़ादी के 70 वर्ष बाद भी अभी तक देश में प्रभावी भू अधिकार कानून को पारित नहीं किया गया है अब भूअधिग्रहण नहीं भूअधिकार कानून की जरूरत है।
3. सभी मज़दूर, कर्मचारी, दस्तकारों, पासमांदा बुनकरों ंऔर शोषित वंचित मेहनतकशों के बुनियादी श्रमाधिकार और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो।
4. मेहनतकश वर्ग को अभिव्यक्ति की आज़ादी, संगठन बनाने की आज़ादी व सरकारी जनविरोधी नीतियों के विरोध करने की आज़ादी संविधान के अनुरूप मिली है इसके साथ छेड़छाड़ बर्दाश नहीं की जाएगी।
5. प्रदेश में किसी भी परियोजना चाहे वो कचरी पावर प्लांट हो, सड़कहाईवे कारीडोर हो, बांध जैसे कनहर बांध परियोजना हो या फिर अन्य विकराल योजनाए उसके लिए पहले स्थानीय जनसमुदाय से सहमति ली जाए व इन परियोजनाओं के किए जा रहे अवैध भू-अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए।
6. प्रदेश में असंवैधानिक व गैरकानूनी प्रक्रिया से बनी राजस्व संहिता को रदद किया जाए।
7. दलित, आदिवासीयों, अल्पसंख्यकों, श्रमजीवी समाज पर किए जा रहे माओवादी, आतंकवाद के नाम पर हमलों, फर्जी मुकदमों, फर्जी मुठभेड़ों एवं उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए।
8. महत्वपूर्ण उद्योग जैसे रक्षा सम्बन्धी उद्योग और खुदरा व्यपार में विदेशी कम्पनियों को शामिल होने की छूट को वापिस किया जाए।
9. महिलाओं का उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए व उनके लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
10. प्रदेश में वनाधिकार कानून के तहत प्राप्त सामुदायिक अधिकारों को प्रभावी प्रक्रिया के तहत मान्यता दी जाए।
11. लघुवनोपज जैसे मछली, तेंदु पत्ता, शहद आदि सहित तमाम लघुवनोपज वनाधिकार कानून संशोधन-2012 के तहत पर समुदाय के पूर्ण अधिकार दिए जाए व वनविभाग व वननिगम की वनाधिकार कानून के खिलाफ काम करने की भूमिका की जांच कर कर्मचारीयों को दंडित किया जाए।
12. देश में गौ रक्षा के नाम पर गौरक्षों द्वारा साम्प्रदायिक माहौल व गुंड़ागर्दी से पूरे श्रमजीवी समाज पर किए जा रहे जानलेवा हमलों को बंद किया जाए।
13. साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल को जल्द पारित किया जाए।
14. प्रदेश में एम्स जैसी अस्पताल की सुविधा क्षेत्रीय स्तर पर प्रदान की जाए व स्वास्थ एवं शिक्षा के निजीकरण को बंद कर शिक्षा को सार्वजनिक क्षेत्र के तहत लागू किया जाए।
भूमि अधिकार आंदोलन-उत्तर प्रदेश
301-विधायक आवास कालोनी
लखनऊ-उ0प्र0
सम्पर्क-अंशुमान सिंह मो0 9235666320
September 2, 2016 at 11:39 pm
The participation of ‘ bhumi adhikar andolan’ in the general strike held on September 2 is a welcome step. The solidarity expressed by the movement will strengthen the cause if the strike and the mass force will help in achieving demands put forward.