धोखे से करा दी अविवाहित युवक की नसबंदी

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एनजीओ से जुड़ी एक महिला ने काम दिलाने के बहाने धोखे से एक अविवाहित युवक की नसबंदी करा दी। होश में आने पर जब युवक को इसकी जानकारी हुई तो उसके होश उड़ गए। युवक ने इस घटना से पहले उन्हें अवगत कराया जहां वह काम करता था फिर एसएसपी से मिलकर न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने मामले की जांच का आदेश दिया है। साथ ही यह आश्वासन भी कि आरोप सही पाए जाने पर एनजीओ और अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बड़हलगंज इलाके के महुअवा निवासी शैलेश दूबे के घर रामू नामक युवक सालों से घरेलू कामकाज करता है। वह 29 मार्च को किसी काम से शहर आया था। दो दिन बाद 31 मार्च को उसने शैलेश को फोन कर अपने साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी दी। बकौल रामू, जब वह बक्शीपुर चौराहे पर गया था, तभी वहां उसे एक महिला मिली। उसने उसे नौकरी नौकरी दिलाने का झांसा दिया और एक निजी अस्पताल ले गई। थोड़ी देर बाद जांच के नाम पर उसने पास के एक मेडिकल स्टोर से लेकर उसे कोई इंजेक्शन लगवाया। इसके बाद उसे कुछ याद नहीं। जब रामू को होश आया तो उसने खुद को कचहरी के पास रिक्शे पर पाया।
हालत खराब होने की सूचना मिलने पर शैलेश और रामू के परिवार के लोग गोरखपुर पहुंचे और उसे जिला अस्पताल ले गए। वहां रामू के नसबंदी की जानकारी सामने आई। इसके बाद सभी के होश उड़ गए। खोजबीन के दौरान रामू के पास से एक कार्ड भी मिला जिस पर नसबंदी कराने की जानकारी लिखी थी। इसके बाद शैलेश दूबे अपने परिचितों संग नसबंदी कराने वाली महिला की तलाश में नर्सिंग होम पहुंचे। आरोप है कि वहां जब उन्होंने नसबंदी कराने वाली महिला के बारे में पूछताछ की तो वहां मौजूद डॉक्टरों और कर्मचारियों ने उन्हें धमकाया। इसके बाद रविवार को तहरीर लेकर वे कोतवाली थाने पहुंचे। इसी दौरान थाने का निरीक्षण करने पहुंचे एसएसपी रामलाल वर्मा से मिलकर सभी ने उन्हें मामले की जानकारी दी और न्याय की गुहार लगाई।
युवक की जबरन नसबंदी करने की शिकायत मिली है। मामले की जांच कराई जाएगी। आरोप सही पाए जाने पर संबंधित एनजीओ और अस्पताल के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
– रामलाल वर्मा, एसएसपी
– रामलाल वर्मा, एसएसपी
एनजीओ की आड़ में चल रहा खेल
कुछ एनजीओ को नसबंदी कराने को जिम्मेदारी दी जाती है। इसके बदले नसबंदी कराने लाने वाले को एक हजार रुपये मिलते हैं। पुलिस से जुड़े लोगों की मानें तो कुछ एनजीओ वाले अनपढ़ युवकों को बरगलाकर उनकी नसबंदी करा देते हैं। हालांकि अस्पताल के कर्मचारियों ने रामू के स्वेच्छा से नसबंदी कराने की बात कही है। अस्पताल प्रशासन ने रामू का हस्ताक्षर भी दिखाया, लेकिन रामू के संरक्षक शैलेश दूबे का दावा है कि रामू कभी स्कूल ही नहीं गया, वह हस्ताक्षर कैसे करेगा।http://www.amarujala.com/uttar-pradesh/gorakhpur/crime/sterilization-of-a-unmarried-man-by-cheating
कुछ एनजीओ को नसबंदी कराने को जिम्मेदारी दी जाती है। इसके बदले नसबंदी कराने लाने वाले को एक हजार रुपये मिलते हैं। पुलिस से जुड़े लोगों की मानें तो कुछ एनजीओ वाले अनपढ़ युवकों को बरगलाकर उनकी नसबंदी करा देते हैं। हालांकि अस्पताल के कर्मचारियों ने रामू के स्वेच्छा से नसबंदी कराने की बात कही है। अस्पताल प्रशासन ने रामू का हस्ताक्षर भी दिखाया, लेकिन रामू के संरक्षक शैलेश दूबे का दावा है कि रामू कभी स्कूल ही नहीं गया, वह हस्ताक्षर कैसे करेगा।http://www.amarujala.com/uttar-pradesh/gorakhpur/crime/sterilization-of-a-unmarried-man-by-cheating
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April 5, 2017 at 3:39 pm
This is very pathetic. The domestic worker should be compensated and doctor punished for conducting operation on the pretext of providing employment