नियमों के फेर में उलझे बैगा नहीं करा पा रहे नसबंदी

बालाघाट। बैगा विशेष जनजाति लोगों के विकास के लिए शासन द्वारा बनाए गए नियम ही बैगा परिवारों के आड़े आ रहे हैं। परिवार नियोजन के प्रति जागरूक बैगा शिविरों में नसबंदी ऑपरेशन नहीं करा पा रहे हैं। वहीं जिम्मेदार भी नियमों का हवाला देकर बैगाओं की नसबंदी करने से कतरा रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला वारासिवनी क्षेत्र में सामने आया है। यहां के बैगा परिवार परिवार नियोजन अपनाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। मंगलवार को भी वारासिवनी की बैगा महिलाएं प्रभारी कलेक्टर के पास पहुंचीं और उनसे परिवार नियोजन की इजाजत देने की मांग की है। हालांकि एडीएम ने नियम-कायदों का हवाला देते हुए ऐसा आदेश देने में असमर्थता जताई।
कलेक्ट्रेट पहुंचे वारासिवनी वार्ड क्रमांक 4 निवासी बैगा अन्नुबाई उमरे, देवेश्वरी वरकड़े, श्रद्घा धुर्वे, भगवती गेडाम, करिश्मा उमरे, नैना वरकड़े व जयश्री कुमरे ने बताया कि वार्ड क्रमांक 4 में करीब 25 बैगा परिवार निवास करते हैं। ये बैगा परिवार नियोजन अपनाने के लिए नसबंदी शिविरों में जाते हैं लेकिन वहां से बैगा परिवारों को यह कहकर लौटा दिया जाता है कि आप विशेष जाति में आते हो और बैगा परिवारों की नसबंदी करने के नियम उनके पास नहीं हैं। उन्होंने बताया कि बैगा परिवार बहुत ही गरीब स्थिति में जीवन-यापन कर रहे हैं और सभी के परिवार में दो से तीन संतानें हैं। शिविरों में डॉक्टर नसबंदी नहीं कर उन्हें लौटा देते हैं।
गरीबी बनी समस्या
बैगा परिवार की महिलाओं ने बताया कि वो भी अपने बच्चों को अच्छा भविष्य देना चाहते हैं लेकिन गरीब आड़े आ रही है। इसके चलते बच्चों का पालन-पोषण करना भी उनके लिए बड़ी समस्या है। उन्होंने प्रभारी कलेक्टर से मिलकर उनके भी नसबंदी ऑपरेशन किए जाने के आदेश वारासिवनी अस्पताल प्रबंधन को देने की बात कही तो प्रभारी कलेक्टर मंजूषा विक्रांतराय ने भी ऐसे आदेश देने से मना करते हुए कहा कि कलेक्टर के आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। समस्या का समाधान नहीं होने पर बैगा महिलाएं वापस चली गईं।
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November 17, 2016 at 9:48 am
The discrimination of Baiga community women to undergo family planning operations us regrettable. They have not been able to utilize the facilities and politicians framed for their benefit. The government should investigate the matter.