Dear friends,

Please find below the frightening news of trying to declare Jagrit Adivasi Dalit Sangathan (JADS), the organsiation that Madhuri Works, as Maoist by the District Collector of Badwani. A letter that the District Collector Badwani wrote to the Divisional Commissioner in September has found its way to the Chief Secretary who sent to the Home Commissioner to enquire into it, has made headlines. IT is the topmost news in the Indore edition and the front page second lead in the Bhopal Edition.
While the news report in Nai Dunia also states these allegations against JADS is due the 150 crore scam exposed by them and the enquire against that scam is underway, and the details of the scam which has been published on page 10, however, the allegations are very  worrying, especially they have tried to insinuate that in Maharashtra there have been cases against them for their anti national work. Which is all rubbish.
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कलेक्टर बोले-बड़वानी में नक्सली, पुलिस का इंकार
बड़वानी कलेक्टर के एक पत्र ने भोपाल के गलियारों में सनसनी फैला दी है। इस पत्र में कलेक्टर ने आदिवासियों और उनके अधिकारों को लेकर लड़ रहे संगठनों पर नक्सलियों से जुड़े होने के गंभीर आरोप लगाए हैं। यह भी खुलासा किया है कि १९९१ से नेटवर्क बना रहे संगठन अब यहां समानांतर सरकार चला रहे हैं। कलेक्टर ने जिले के पुलिस अधीक्षक पर भी मामले को दबाने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर इस संगठन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मनरेगा में बड़वानी जिले में करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा करने से बौखलाए अधिकारी इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। मामला तब और विवादास्पद हो गया जब रेंज की आईजी ने क्षेत्र में नक्सलियों की किसी भी तरह की गतिविधि होने से साफ इंकार कर दिया।
बड़वानी प्रदेश का वह इलाका है जिसमें मनरेगा में भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा शिकायतें हुई हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा गड़बड़ियों की जांच के लिए ८० इंजीनियरों की टीम को यहां भेजा गया था। जिले के तीन ब्लॉकों में अभी भी जांच चल रही है। अभी तक हुई जांच में १५० करोड़ का भष्ट्राचार सामने आया है। कलेक्टर श्रीमन शुक्ला ने लगभग पांच माह पहले सरकार को पत्र लिखकर क्षेत्र में नक्सली गतिविधि बढ़ने के बारे में जानकारी दी थी। “नईदुनिया” के पास इस पत्र की प्रति है। पत्र में कहा गया था कि जाग्रत आदिवासी दलित संगठन सहित कई संस्थाएं आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने के नाम पर सरकार के विरोध में खड़ा कर रही हैं। इनमें अधिकांश संगठन विधिवत पंजीकृत भी नहीं हैं। इसमें मुख्य रूप से जागृत आदिवासी संगठन की मुखिया माधुरी को निशाना बनाते हुए आदिवासियों को नक्सली गतिविधियों की ओर धकेलने की कोशिश करने का आरोप जड़ा है।
कलेक्टर शुक्ला ने पुलिस महकमा को भी इन संगठनों के आगे लाचार बताया। पत्र में खुलासा किया है कि इस संगठन के आगे पुलिस भी बौनी साबित हो रही है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बड़वानी ने २८ मार्च २०१० को सुश्री माधुरी के विरुद्ध जिलाबदर की कार्रवाई प्रस्तावित की थी लेकिन बाद में २६ मई २०१२ को पुलिस अधीक्षक बड़वानी ने इस प्रकरण को नस्तीबद्ध करने का अनुरोध किया।
प्रशासन की बेबसी बताई 
शुक्ला ने प्रशासन की बेबसी कुछ यूं जाहिर की कि संगठन के आगे जिला प्रशासन बेबस है। संगठन की मुखिया माधुरी जिला प्रशासन पर मनरेगा में गड़बड़ी के आरोप लगाकर दबाव बनाती हैं। संगठन स्वयं निर्णय लेता है कि उसे मनरेगा में कहां काम कराना है, कहां नहीं। वे स्वयं ही मस्टर रोल तैयार कर सरपंच-सचिवों पर दबाव बनाते हैं। श्री शुक्ला के पास कोई जवाब नहीं है कि जो गड़बड़ियां सामने आई हैं, उस पर उन्होंने क्या कार्रवाई की।
मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार को लेकर आदिवासियों ने बड़वानी में ही सबसे ज्यादा आवाज उठा रहे हैं। इसी से बौखलाकर प्रशासन और राजनेता इसे दबाने के लिए तमाम आरोप लगा रहे हैं। मनरेगा को लेकर जांच के खुलासे से डर कर प्रशासन इस तरह के बयान दे रहा है। – माधुरी, जागृत आदिवासी दलित संगठन की प्रमुख
 
बड़वानी क्षेत्र में इस तरह की कोई नक्सली गतिविधि चलने की जानकारी नहीं है। – अनुराधा शंकर सिंह, आईजी इंदौर रेंज
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मनरेगा का महाघोटालाः अब तक 150 करोड़ का घोटाला!
प्रदेश के बड़वानी जिले में मनरेगा को लेकर चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं। इस जांच से जुड़े पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार अब तक की जांच में करीब १५० करोड़ का घोटाला सामने आ रहा है। जिले के बड़वानी, पानसेमल, निवाली और पाटी विकासखंडों की जांच हो चुकी है, जबकि सेंधवा, राजपुर और ठीकरी विकासखंडों में जांच जारी है। घोटाले की गूंज भोपाल तक ही नहीं, दिल्ली में ग्रामीण विकास मंत्रालय तक भी है। यहां मनरेगा में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले की जांच करीब दो माह से चल रही है। इसमें प्रदेश के विभिन्ना जिलों के करीब सौ अधिकारियों और इंजीनियरों को लगाया गया है। अफसर गत तीन साल में मनरेगा में हुए कामों की जांच कर रहे हैं। जांच दलों में अधीक्षण यंत्री से लेकर कार्यपालन यंत्री, एसडीओ और सब इंजीनियर तक अधिकारी व तकनीकी जानकार हैं। जांच दलों में इंदौर, देवास ही नहीं रीवा, बालाघाट, सिवनी, बैतूल जैसे दूरस्थ जिलों से भी अधिकारी बड़वानी जिले में डेरा डाले हुए हैं।
जांच के लिए ग्रामीण विकास विभाग की ओर से कलेक्टर को पत्र लिखा गया है। बताया जाता है कि जिले में मनरेगा की गड़बड़ियों की शिकायत केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को भी की गई थी। जांच जारी है और इसके साथ ही घोटाले की कई परतें खुलती जा रही हैं। इसमें सरपंच-सचिवों के अलावा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की भी लिप्तता सामने आ रही है। पूरे मामले में जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है।
कार्रवाई करेंगे 
बड़वानी जिले में मनरेगा को लेकर जांच जारी है। जांच रिपोर्ट के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। – अरुणा शर्मा, अपर मुख्य सचिव, पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग, मप्र जनपद पंचायत 
घोटाला ही घोटाला
पानसेमल की एक पंचायत में ४.५० लाख की सड़क का मूल्यांकन केवल १२ हजार रु. निकला। सड़क की लंबाई ७५० मीटर निर्धारित थी, लेकिन दस कदम में सड़क खत्म हो गई।
मनरेगा की ऑनलाइन (एमआईएस) इंट्री में कई पंचायतों की फर्जी इंट्री की गई है। जनपद पंचायत ने एक ओर इंट्री बताई है लेकिन जांच दलों को जो सूची दी है, उसमें खर्च ही नहीं दर्शाया गया है।
कई जगह लोक निर्माण विभाग और वन विभाग की बनाई सड़कों को ही मनरेगा की सड़कें बताकर राशि निकाल ली गई। पानसेमल और पाटी की दूरस्थ पंचायतों में इस तरह के कई उदाहरण सामने आए हैं।
निवाली, पानसेमल आदि जनपदों में कागजों में कई तालाबों, सड़कों को पूर्ण बता दिया गया है और उनका खर्च भी डाला गया है लेकिन गांवों में देखा गया तो वहां काम नदारद है।
पानसेमल, पाटी जनपदों के पहाड़ी इलाकों में सरपंच-सचिवों ने घाट कटिंग के नाम पर लाखों-करोड़ों रु. फूंक दिए, लेकिन मौके पर जाकर देखा गया तो ऐसा कुछ नहीं है।
पाटी और निवाली में कई जगह वन भूमि पर बिना अनुमति के सड़कें बना दी हैं।