रिपोर्ट में आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट, हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी और पुलिस प्रशासन की भूमिका पर उठाए गए हैं सवाल, घटना को पूर्वनियोजित साजिश का हिस्सा बताया

 

गोडसे को महात्मा कहने और गांधी बनने वालों को गोली मारने की बात करने वाले कमलेश तिवारी ने की थी सरायमीर में मीटिंग

 

पुलिस और प्रदर्शकारियों के बीच तनाव के दौरान स्थिति को साम्प्रदायिक रंग देने में हिंदू समाज पार्टी की संदिग्ध भूमिका

 

तत्कालीन थानाध्यक्ष सरायमीर सवालों के घेरे में

 

तोड़फोड़ करने वाले हिंदुत्वादियों पर नहीं दर्ज की गई एफआईआर

 

सरायमीर घटना के एक माह पूरे होने पर जारी हुई रिपोर्ट

रिपोर्ट में आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट, हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी और पुलिस प्रशासन की भूमिका पर उठाए गए हैं सवाल, घटना को पूर्वनियोजित साजिश का हिस्सा बताया

गोडसे को महात्मा कहने और गांधी बनने वालों को गोली मारने की बात करने वाले कमलेश तिवारी ने की थी सरायमीर में मीटिंग- रिपोर्ट

 

पुलिस और प्रदर्शकारियों के बीच तनाव के दौरान स्थिति को  साम्प्रदायिक रंग देने में हिंदू समाज पार्टी की संदिग्ध भूमिका

रिहाई मंच, जनमुक्ति मोर्चा और आल इंडिया प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फेडरेशन की संयुक्त जांच रिपोर्ट मेल में संलग्न

 

लखनऊ/आज़मगढ़, 30 मई 2018। सरायमीर साम्प्रदायिक तनाव के एक माह पर सरायमीर का दौरा करने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता शरद जायसवाल और रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने 29 अप्रैल को सरायमीर में होने वाली कथित साम्प्रदायिक हिंसा से सम्बंधित रिहाई मंच, जनमुक्ति मोर्चा और आल इंडिया प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फेडरेशन की संयुक्त जांच रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि जिस घटना को पुलिस व मीडिया साम्प्रदायिक हिंसा का नाम दे रही है दर असल निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा बल प्रयोग और साम्प्रदायिक तत्वों के साथ कारित की गई तोड़फोड़ थी।

सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि विनोद यादव, राजेश और तेजबहादुर ने रिपोट में कहा है की प्रदर्शनकारी एक आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने वाले के खिलाफ रासुका लगाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से प्रदर्शकारियों की वाजिब मांग पर विचार करने के बजाए पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े लोकतंत्र में उसके लिए कोई तर्क नहीं हो सकता। उपलब्ध वीडियों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों के पास किसी तरह का लाठी–डंडा या हथियार नहीं थे और इस मामले में मुख्य आरोपी बनाए गए कलीम जामई स्वंय शान्ति बनाए रखने के लिए लगातार अपील कर रहे थे। जब प्रदर्शनकारियों के बीच से कुछ लोग बातचीत करने के लिए थाने में गए और मामला लगभग तय हो गया तो षणयंत्र के तहत पत्थरबाज़ी की घटना कारित करवाई गई ताकि बलप्रयोग के लिए तर्क गढ़ा जासके। उन्होंने कहा कि जब प्रदर्शनकारी घटना स्थल से जा चुके थे उसके बाद अचानक साम्प्रदायिक संगठनों के 200-250 सौ लोगों का लाठी–डंडा, त्रिशूल लेकर रोड पर आ जाना और पुलिस के साथ वाहनों और दुकानों में तोड़फोड़ करना किसी गहरी साज़िश का संकेत है और ऐसा लगता है कि इसकी पृष्ठिभूमि स्वंय तत्कालीन थानाध्यक्ष ने लाठीचार्ज के माध्यम से तैयार की थी। इस घटना के बाद ही हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी का दलबल के साथ का सरायमीर दौरा और साम्प्रदायिक संगठनों के साथ मीटिंग करना और तत्कालीन थानाध्यक्ष राम नरेश यादव से मिलना साज़िश के पहलू को और पुख्ता करता है।

रिपोर्ट में कहा है की जब सरायमीर की स्थिति संवेदनशील बनी हुई थी, पीएसी तैनात थी उसी दौरान कमलेश तिवारी जैसे लोगों का सरायमीर आना और मीटिंग करना साबित करता है कि सरायमीर का माहौल खराब करने की पहले से ही साज़िश थी जिसको अंजाम देने के लिए आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करवाई गई थी। इस पहलू से  निष्पक्ष जांच किए बिना मामले की जड़ तक नहीं पहुंचा जा सकता। जब मामला लगभग अपने तार्किक अंजाम को पहुंच चुका था तभी पत्थरबाज़ी व पुलिस लाठीचार्ज और उसके बाद साम्प्रदायिक तत्वों का गोलबंद होकर बाहर आ जाना स्वभाविक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि वीडियो और सीसी कैमरों की फुटेज में पुलिस को तोड़फोड़ करते और गैलेक्सी ढाबा से लूटी गई कोल्ड ड्रिंक पीते हुए साफ साफ देखा जा सकता है। जिस तोड़फोड़ और लूट के लिए साम्प्रदायिक तत्वों और स्वंय दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए थी उसका प्रदर्शनकारियों पर आरोप लगा कर बेगुनाह लोगों को मुल्जिम बना दिया गया। इस मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष सरायमीर की भूमिका अत्यंत संदिग्ध है जिसकी निष्पक्ष जांच होना लोकहित में आवश्यक है।

 

द्वारा जारी-

राजीव यादव

9452800752

 

आज़मगढ़ के कस्बा सरायमीर में 28 अप्रैल 2018 को होने वाले तनाव में दर्जनों मुसलमानों को पुलिस लाठीचार्ज में गम्भीर चोटें आयीं। उसके बाद पुलिस द्वारा 35 मुस्लिमों को नामज़द करते हुए  12 अन्य अज्ञात के खिलाफएफआईआर दर्ज की गई। घटना से सम्बंधित समाचार माध्यमों में आने वाली खबरों और सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली वीडियोज़ में विरोधाभास को देखते हुए मानवाधिकार और सामाजिक संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 4 मई को कस्बा सरायमीर का दौरा कर तथ्यों को जानने का प्रयास किया। इस जांच दल में मुख्य रूप से जनमुक्ति मोर्चा के राजेश, अखिल भारतीय प्रगतिशील छात्र मोर्चा के तेज बहादुर और रिहाई मंच के विनोद यादव शामिल थे। इस जांच दल ने अपनी पड़ताल में स्थानीय लोगों से बातचीत की और घटना से सम्बंधित कई वीडियो का अवलोकन किया और पाया कि:-

 

घटनाक्रम

 

कस्बा सरायमीर निवासी अमित साहू द्वारा 27 अप्रैल 2018 को फेसबुक पर एक आपत्तिजनक पोस्ट लगाने का मामला सामने आने पर मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया। उसी दिन दोपहर में पूर्व चेअरमैन सरायमीर उबैदुर्रहमानके नेतृत्व में एफआईआर दर्ज करवाई गई। काफी ना नुकुर के बाद थानाध्यक्ष राम नरेश यादव द्वारा सामान्य धाराओें में एफआईआर दर्ज करने को लेकर असंतुष्ट कुछ लोग कलीम जामई के नेतृत्व में अमित साहू पर रासुका लगानेकी मांग करने लगे जिसे थानाध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया। इस दौरान वहां नारेबाज़ी भी हुई। अपनी मांग के समर्थन में कलीम जामई व उनके समर्थकों ने अगले दिन 28 अप्रैल को सोशल मीडिया के माध्यम से सरायमीर बंदका एलान कर दिया।

 

सड़क पर भीड़ थाने में पुलिस

28 अप्रैल को सुबह 8 बजे से ही मुस्लिम युवक सरायमीर में मुख्य मार्ग पर यदा कदा इकट्ठा होने लगे। करीब दस बजे तक काफी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए लेकिन किसी प्रशासनिक अधिकारी ने इसका संज्ञान नहीं लिया। उसकेबाद भीड़ थाना रोड पर पहुंच गई और करीब डेढ़ घंटे तक जमी रही लेकिन थानाध्यक्ष सरायमीर ने कोई नोटिस नहीं लिया। इस बीच कुछ लोग बातचीत करने के लिए थाने में गए जहां एसडीएम निज़ामाबाद, सीओ फूलपुर औरथानाध्यक्ष सरायमीर मौजूद थे। बातचीत के नतीजे में अधिकारियों ने अमित साहू पर रासुका लगाने की मांग स्वीकार कर ली और बातचीत करने वालों में से कुछ लोगों से आग्रह किया कि वह भीड़ को और पीछे की तरफ ले जाएं। इसदौरान बाहर कलीम जामई भीड़ से धैर्य बनाए रखने की अपील करते रहे जिसे एक वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है।

 

सफल वार्ता, पत्थरबाजी, लाठी चार्ज

जिस समय वार्ताकारों में से कुछ लोग भीड़ को बता रहे थे कि अधिकारियों द्वारा उनकी मांग मान ली गई है और लगभग मामला अपने तार्किक अंजाम को पहुंच गया था उसी दौरान पीछे से कुछ लोगों ने पथराव शुरू कर दियाजिसके बारे में बताया जाता है कि वह प्रदर्शनकारी नहीं थे बल्कि साज़िश के तहत कुछ अज्ञात लोगों से पत्थरबाज़ी करवाई गई थी। पथराव की घटना के तुरंत बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े जिसके कारणभगदड़ मच गई। पुलिस ने उन वार्ताकारों पर भी लाठी बरसाना शुरू कर दिया जो अभी थाना परिसर में ही मौजूद थे। थाना सरायमीर में एसडीएम निज़ामाबाद और सीओ फूलपुर का मौजूद होना इस बात का संकेत है कि अधिकारियों को पहले से ही मामले की संवेदनशीलता का आभास था। उसके बावजूद इकट्ठा भीड़ से संवाद स्थापित करने और उसे वहां से हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। इसे सामान्य प्रशासनिक क्रिया नहीं माना जा सकता। इस समय तक वाहनों और दुकानों में तोड़फोड़ की घटना नहीं हुई थी।

 

पुलिसिया दमन

लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोलों से बचने के लिए भागती हुई भीड़ का पीछा करते हुए पुलिस टैक्सी स्टैंड मुख्यमार्ग की तरफ गई जहां आसपास के दुकानदार गैस शेल की आवाज़ सुनकर दुकानें बंद करने लगे और सुरक्षित स्थानों की तरफ भागे। इसी क्रम में टैक्सी स्टैंड के पास मेन रोड के दुकानदार फैज़ान कटरा में चले गए और अंदर से चैनेल बंद कर लिया। कटरे के अंदर दुकानें खुल हुई थीं। जब पुलिस की नज़र उस तरफ पड़ी तो उसने चैनल का तालातोड़ कर बारह लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिसमें 9 दुकानदार, मकान मालिक के दो भांजे और एक ग्राहक था। एक तरफ से सबकी पिटाई की गई।

 

लूटपाट और घायलों के इलाज पर पुलिसिया रोक

उन्हीं में एक अहमद नाम के युवक को पुलिस ने बुरी तरह पीटा जिससे उसका पैर टूट गया और ऊपरी भाग बुरी तरह फट गया। उक्त युवक को पुलिस ने इलाज करवाए बिना जेल भेज दिया और इलाज के लिए न्यायालय से निर्देशितकिए जाने के बाद भी सुरक्षा के बहाने से उसे छः दिनों तक इलाज से वंचित रखा गया। गिरफ्तार किए गए दुकानदारों व अन्य के पास मौजूद नगदी भी पुलिस ने हड़प कर ली और मोबाइल फोन न तो परिजनों के हवाले किए गए और न ही बरामदगी दिखाई गई।

 

लाठी, डंडा, त्रिशूल से लैस भीड़ का हमला

जिस समय थाने के सामने निहत्थे प्रदर्शनकारी मौजूद थे उसी दौरान हिंदुत्वादी तत्व सैकड़ों की संख्या में लाठी, डंडा और त्रिशूल आदि से लैस हो कर इकट्ठा हो रहे थे। कई लोगों ने आरोप लगाया कि थानाध्यक्ष इन तत्वों से सम्पर्क मेंथे और उन्हीं की शह पर वह लोग इकट्ठा हुए थे। जब वह लोग पूरी तरह से तैयार हो गए तभी लाठीचार्ज शुरू किया गया और आंसू गैस के गोले छोड़े गए जिसको तर्कसंगत साबित करने के लिए पत्थरबाज़ी की घटना प्रायोजित की गईथी।

 

वीडियो में दंगाई पुलिस साथ-साथ

एक वीडियो में पुलिस बल के लोगों को सुनसान थाना रोड पर खड़े वाहनों को तोड़ते हुए देखा जा सकता है। प्रत्यक्षदिर्शियों ने बताया कि लाठीचार्ज के बाद पुलिस के जवानों के साथ हिंदुत्वादी भीड़ साम्प्रदायिक नारे लगाते हुए मुख्य मार्ग पर उस स्थान पर आ गई जहां थाना रोड मुख्यमार्ग से मिलता है। उक्त भीड़ ने पुलिस के साथ रोड पर खडे दो पहिया और चार पहिया वाहनों को तोड़ना शुरू कर दिया। यह सिलसिला थाना रोड से मिलने वालेमुख्यमार्ग पर गैलेक्सी ढाबा से शुरू होकर टैक्सी स्टैंड और नई मार्केट तक चलता रहा। नई मार्केट में मज़दूरी करने वाले एक व्यक्ति के हवाले से बताया गया कि वहां पहुंचने के बाद पुलिस बल के लोगों ने भीड़ को दुकानेंतोड़ कर लूटपाट करने के लिए उकसाया लेकिन वह लोग इसकी हिम्मत नहीं कर सके। स्थानीय लोगों ने बताया कि इन घटनाओं में हिंदू समाज के पिछड़े और दलित वर्ग की कोई भागीदारी नहीं थी। टैक्सी स्टैंड स्थित पुलिस चौकी के बारे में बताया गया कि प्रदर्शकारियों ने उसमें तोड़फोड़ और आगजनी की।

 

पुलिस चौकी में आगजनी के सबूत नहीं

एक वीडियो में पुलिस चौकी के बाहर प्लास्टिक नुमा किसी चीज़ पर अधजली लकड़ियों के अवशेष रखे हुए देखे जा सकते हैं। स्थानीय लोगों ने जांच टीम को बताया कि प्रदर्शकारी चौकी की तरफ बढ़े ही नहीं और न ही उन्होंने आगजनी की। आगज़नी की घटना सिरे से हुई ही नहीं। दूसरे दिन भी पुलिस वाले चौकी पर पूर्ववत बैठे देखे गए। जांच दल ने चौकी को देखा तो आश्चर्यजनक रूप से चौकी की अंदरूनी और बाहरी दीवरों पर धुएं के निशान या दाग़–धब्बे नहीं मिले। आगज़नी के बाद ऐसा संभव नहीं है कि दीवारों के रंग रोग़न में भी कोई फर्क न आए।

 

सबूतों को मिटाने के लिए सीसीटीवी कैमरे तोड़ते और लूटी कोल्ड ड्रिंक पीती पुलिस के विडियो

जांच दल को ऐसे वीडियो दिखाए गए जिसमें कलीम जामई के ढाबे ‘गैलेक्सी’ पर पुलिस वालों को सीसीटीवी कैमरा तोड़ते और लूटी गई कोल्ड ड्रिंक पीते हुए देखा जा सकता है। पुलिस ने ढाबे पर लगे सीसी कैमरे तोड़ दिए औरसबूत मिटाने के लिए मशीन अपने साथ ले गई। नई मार्केट में पुलिस बल के साथ ही साम्प्रदायिक तत्वों को गाड़ियां तोड़ते और पत्थरबाज़ी करते देखा जा सकता है। इसी तरह मवेशी खाना क्षेत्र में साम्प्रदायिक तत्वों के एक अलगसमूह को गाड़ियां और दुकानों के बोर्ड तोड़ते हुए देखे जा सकता है।

 

घटना पुलिस और मुस्लिम प्रदर्शनकारियों की झड़प थी

दर असल पुलिस व मीडिया जिस घटना को साम्प्रदायिक बता रही है वह पुलिस और मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के बीच की झड़प थी। पुलिस के लाठीचार्ज और आंसू गैस शेल दाग़ने के कुछ ही देर बाद भीड़ छंट चुकी थी। रोड के किनारे और नई बाज़ार में खड़े वहानों में तोड़–फोड़ की घटना पुलिस और हिंदूत्वादी भीड़ ने किया था जो सम्भवतः ऐसी ही किसी घटना का फायदा उठाने के लिए पहले से सजग थी या कर दी गई थी।

 

साजिश

 

अमित साहू करीब 20 वर्ष का कम पढ़ा–लिखा साधारण नवजवान है। जिसकी एक फेसबुक पोस्ट से उसकी मानसिकता को समझा जा सकता है “जिस धर्म में हर चीज हराम है उस धर्म को बनाने वाला कितना हरामी होगा” (https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=364433340714729&id=10001444197 5837) । एक बुज़ुर्ग ने बताया कि आपत्तिजनक पोस्ट में जो कुछ कहा गया है वह उसकी समझ से बाहर की बात है। वास्तव में एक डाक्टर साहब ने उससे तीन–चार पन्नों के एक लेख में से एक पन्ने का फोटो खिंचवा कर फेसबुक पर डलवाया था। अगर अमित साहू की पोस्ट को गौर से देखा जाए तो पेज के ऊपरी भाग पर कलम से “Page No-1” लिखा हुआ है जबकि बाकी सामग्री छपी या टाइप की हुई है। पोस्ट अचानक ऐसी जगह जा कर खत्म हो जाती है जहां बात पूरी नहीं होती। साफ जाहिर है कि बदनीयती के साथ अमित साहू से पोस्ट करवाई गई थी।

 

पूर्वनियोजित तनाव में फेबुक पोस्ट मात्र एक चिंगारी

अब अगर घटना के दिन बिना किसी उकसावे के हिंदू संगठनों से जुड़े 250-300 नवजवानों की भीड़ लाठी डंडा और त्रिशूल लेकर धार्मिक नारे लगाते हुए अचानक निकल आती है और वाहनों व दुकानों के बोर्ड तोड़ने लगती है तो इसे स्वभाविक नहीं माना जा सकता। घटना के दूसरे दिन सरायमीर बाज़ार तो खुल गया लेकिन बाज़ार में सन्नाटा छाया रहा। पीएसी लगी रही। पुलिस वाले इस हद तक चौकन्ने थे कि बाइकों से आने जाने वाले युवकों की मोबाइल से तस्वीरें उतार कर भय का वातावरण बना रहे थे। अज्ञात के नाम पर कई तरह की अफवाहें भी फैलाई जा रही थीं। कासगंज की तरह सफल मुस्लिम दुकानदारों की सूची तैयार किए जाने की भी अफवाह फैलाई गई।

 

हिंदू समाज पार्टी अध्यक्ष कमलेश तिवारी का सरायमीर का दौरा

लेकिन इस बीच सरायमीर में हिंदू संगठनों की बेखौफ सक्रियता से कई प्रकार की आशंका पैदा होती है। हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने अपने काफिले के साथ सरायमीर का दौरा किया। सरायमीर-आसपास के अन्य लोगों के साथ कस्बे में ही कई बैठकें कीं। अपने आपको हिंदू समाज पार्टी का मीडिया प्रभारी कहने वाले जौनपुर के अमित पाण्डेय ने अपनी फेसबुक वाल पर हिंदू समाज पार्टी की सक्रियता और इन बैठकों की तस्वीरें भड़काऊं विवरण के साथ पोस्ट की थीं। कमलेश तिवारी ने अपनी टीम के साथ थानाध्यक्ष राम नरेश यादव से भी मुलाकात की थी। सरायमीर में 2 और 3 मई को माहौल खराब करने की नीयत से सरायमीर बंद कराने की भी कोशिश की गई लेकिन इस अभियान में ओबीसी और एससी/एसटी की भागीदारी सुनिश्चित न हो पाने के कारण वह अपनी योजना में कामयाब नहीं हो सके।

 

“अब हिंदुस्तान के हर घर में पैदा होंगे गोडसे जो भी गांधी बनेगा उसे मार दी जाएगी की गोली”

हिंदू समाज पार्टी, कमलेश तिवारी या अमित पाण्डेय को समझने के लिए अमित पाण्डेय की केवल एक फेसबुक पोस्ट ही काफी है जिसमें कहा गया है “अब हिंदुस्तान के हर घर में पैदा होंगे गोडसे जो भी गांधी बनेगा उसे मार दी जाएगी की गोली, 28 मई से हिंदू समाज पार्टी आन्दोलन करेगी मुसलमानों भारत छोड़ो – श्री कमलेश तिवारी। इस पोस्ट में NewsDog पर कनक श्रीवास्तवा के लेख का हवाला भी दिया गया है। ऐसा व्यक्ति जो गांधी के मार्ग पर चलने वालों को गोली मारने की बात करता हो, घोर हिंसक साम्प्रदायिक मानसिकता रखता हो वह संवेदनशील सरायमीर में खुले आम बैठकें करता है, साम्प्रदायिक हिंसा की बात करता है और स्वंय थानाध्यक्ष से मिलता है। ऐसे में थानाध्यक्ष राम नरेश यादव के साम्प्रदायिक तत्वों से सांठगांठ के आरोप को बल मिलता है।

 

विडियो में तोड़फोड़ करते हिन्दुत्ववादी और पुलिस पर उन पर कोई एफआईआर नहीं

वीडियो फुटेज में हिंदू लड़कों को कई स्थानों पर तोड़–फोड़ करते देखा जा सकता है लेकिन उन पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। खुद पुलिस वालों की तस्वीरें तोड़–फोड़ कारित करते कैमरों में कैद हैं। जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि सरायमीर में साम्प्रदायिक घटना कारित करने की योजना पहले से बनाई जा रही थी जिसके लिए तैयारियां भी की गई थीं। अमित साहू से अपत्तिजनक पोस्ट इसी नीयत से कराई गई थी।