लखनऊ, 9 नवंबर: 16 मई के बाद केन्द्र में अच्छे दिनों का वादा कर आई नई सरकार ने जिस तरह से सांप्रदायिकता और कॉरपोरेट लूट को संस्थाबद्ध करके पूरे देश में अपने पक्ष में जनमत बनाने की आक्रामक कोशिश शुरू कर दी है, उसके खिलाफ जनता भी अलग-अलग रूपों में अपनी चिन्ताओं को अभिव्यक्ति दे रही है। जिस तरह चुनावों के दरम्यान सांप्रदायिक माहौल खराब किया जा रहा है, कहीं ‘लव जिहाद’ के नाम पर महिलाओं के अधिकारों का दमन कर सामंती पुरुषवादी ढांचे का विस्तार किया जा रहा है तो उसके बरखिलाफ हमारे रोजमर्रा के सवालों से टकराता देश का कवि समाज भी मुखरता से आगे आया है। ऐसे ही कविताओं को एक मंच पर लाने के लिए रविवार, 9 नवंबर 2014 को लखनऊ के सीपीआई कार्यालय (अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी के पीछे) में शाम 4 बजे से ‘कविता: 16 मई के बाद’ श्रृंखला के तहत कविता-पाठ का आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, इप्टा, जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम के संचालक शहर के सम्मानित संस्कृतिकर्मी आदियोग ने शाद की नज्म से शुरुआत करते हुए कवियों को अपनी बात कहने के लिए पांच मिनट का वक्त दिया और आयोजन में आधार वक्तव्य रखने के लिए दिल्ली के कवि रंजीत वर्मा को आमंत्रित किया। श्री वर्मा ने ‘कविता: 16 मई के बाद’ नामक आयोजन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद जो फासीवादी निज़ाम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस देश में आया है और उसके बाद इस देश में जैसी राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियां बनी हैं, उसमें एक अहम सांस्कृतिक हस्तक्षेप की ज़रूरत आन पड़ी है। ऐसे में ज़रूरी है कि कविता को राजनीतिक औज़ार बनाकर एक प्रतिपक्ष का निर्माण किया जाए। इसी उद्देश्य से दिल्ली से यह आयोजन बीते 11 अक्टूबर को शुरू हुआ जिसमें दस कवियों ने कविताएं पढ़ीं और यह कविता यात्रा देश भर में अगले एक साल में ले जाई जाएगी।
कविताओं की शुरुआत करते हुए शहर के प्रतिष्ठित संपादक और कवि सुभाष राय ने अपनी एक लंबी कविता सुनाई। इसके बाद कवि अजय सिंह ने अपनी बहुचर्चित कविता ”राष्ट्रपति भवन में सुअर” का पाठ किया। कवि चंद्रेश्वर ने अफ़वाहों के फैलने पर एक ज़रूरी कविता सुनाई। मंच पर मौजूद ब्रजेश नीरज, हरिओम, ईश मिश्र, किरन सिंह, नरेश सक्सेना, नवीन कुमार, प्रज्ञा पाण्डेय, पाणिनि आनंद, रंजीत वर्मा, राहुल देव, राजीव प्रकाश गर्ग ’साहिर’, संध्या सिंह, सैफ बाबर, शिवमंगल सिद्धान्तकर, तश्ना आलमी, उषा राय़, अभिषेक श्रीवास्तव ने अपनी सशक्त कविताओं के माध्यम से अपना-अपना प्रतिरोध दर्ज करवाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने की।
संपर्क: शाहनवाज़ आलम/राजीव यादव/आदियोग: 9415254919/ 9452800752/ 9415011487
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